
रतलाम बस कुछ ही दिनों में चुनावी बिगूल बजने वाला है टिकट की दौड़ भाग में फुलछाप के नेता लगे हैं। इस चुनाव में सबसे बड़ा दिलचस्प तो फूल छाप में टिकट मिलने और टिकट कटवाने वालो की जोर आजमाइश चल रही है। जिले में फूलछाप के वर्तमान में तीन विधायक है। पहले तीनो चेहरों पर चर्चा हुई फिर दो टिकट काट कर नए चेहरों को मौका मिलने की चर्चा हुई। फिलहाल जावरा और रतलाम ग्रामीण में नए चेहरे को मौका मिलने की बात सामने आ रही है। टिकट कटने की शंका पर एक, एमएलए साहब तो इन दिनों दिल्ली दौरे पर है जो अपने आकाओं को मना कर एक बार फिर मौका मिलने की जुगाड में जोर आजमाइश कर चरण वंदन में लगे हैं। रतलाम ग्रामीण क्षेत्र में पार्टी से कहीं अधिक मौजूदा नेताजी से लोगो की नाराजगी फूलछाप के वरिष्ठ नेताओं तक पहुंची है। जिस पर संगठन मंथन कर रहा है। जावरा में राजनेतिक मजबूरी फूल छाप वालो को पसोपेश में रख रहे है तो रतलाम शहर में अब तक तय हो चुका टिकट को लेकर कटवाने वालो की शिकायतों से बड़े नेताओं में चिंता और सपोटेज का डर बना नजर आ रहा है।
तो घर में लगेगी आग घर के चिराग से..?
यह तो तय है की चुनाव आने से पहले सत्ता विरोधी लहर चलाई जाती हैं। लेकिन इन दिनों जो खबरे निकल कर आ रही है और जो माहौल बनाया जा रहा है उसे देखकर लगता है की सत्तारूढ़ दल को हराने के लिए एडी से चोटी तक का जोर लगाया जा रहा है। टिकट को लेकर कहीं भड़ास निकाली जा रही है तो नही संगठन की कमजोरी कद्दावर नेताओं और पदों पर आसीन जिम्मेदारो के कारण तेजी से फुलछाप में बड़ी गुटबाजी चुनाव के समय नासूर बन कर उभरे के संकेत दे रहे है। हालाकि अभी जनमत तो तस्वीर साफ नही होने से तटस्थ हैं, गोपनीय सर्वे और पक्ष में विपक्षी तेवर से पंजा पार्टी सीना चौड़ा कर रही है और परिणाम समय के गर्त मे ही है। लेकिन रतलाम जिले की राजनीति की बात करें तो इस चुनाव कहीं घर में लगी आग घर के चिराग से वाली कहावत चरितार्थ नही हो जाए..? क्यों की अब तक फूलछाप वालो के बड़े नेता ड्रेमेज कंट्रोल करने में सफल होते नही दिख रहे हैं।
क्यों बड़ती जा रही है दूरियां
फूलछाप वाले हमेशा अपने कुनवे को कार्यकर्ताओं वाला बता कर उन्हें अपनी ताख्त बताते थे, लेकिन अब मौसम और सत्ता के सुख के साथ बदले परिदृश्य ने कुनवे में रहते हुए अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं से दूरियां बना कर गुटबाजी को बल दिया है। इन फूलछाप के मंडल से लेकर कार्यकर्ता सम्मेलन तक और होने वाले आयोजनों में कार्यकर्ताओं का दूरियां बनाए रखना, कद्दावर और पुराने नेताओ को हाशिए पर होना फूलछाप के लिए हानिकारक ही है जो संगठन को ही कटघरे मे खड़ा करता है।
पंजा पार्टी में कलह
पंजा पार्टी के पास पाने को कुछ नही है तो खोने को भी कुछ नहीं है। टिकट के लिए पार्टी में अधिक कोई मशक्कत के चर्चे नही है जिन्हे टिकट मिलने है उन्हे संकेत मिल गए है। लेकिन रतलाम शहर और जावरा में मजबूत और समर्थ चेहरे को ही मौका दिया जायेगा हालाकि पंजा छाप जिन चेहरे पर दांव लगाने के कयास लगा रही है उन्हे अपनो से ही खतरा पैदा होने के भी संकेत मिल रहे हैं। जो उम्मीदवार घोषित होने के बाद अपने पत्ते खोले जाने के चर्चे कर रहे हैं।अंदर ही अंदर हो रही कलह टिकट घोषित होने के बाद अपना रंग दिखा सकते है।