संसार में भोगना ही पडता है, कर्म का फल प्रवर्तकश्री…………….अभिग्रहधारी का 48 किलोमीटर के उग्र विहार बाद पदार्पण
रतलाम, संसार वैसे तो मीठा लगता है, लेकिन इसमें कूदो तो खारा लगने लगता है। संसार की यही रीत सदियों से चली आ रही है, इसमें मनुष्य जो भी कर्म…