रतलाम, संसार वैसे तो मीठा लगता है, लेकिन इसमें कूदो तो खारा लगने लगता है। संसार की यही रीत सदियों से चली आ रही है, इसमें मनुष्य जो भी कर्म करता है, उसे उनका फल भोगना ही पडता है। इसलिए ऐसे कर्म करो कि परमार्थ प्राप्त हो जाए।
यह बात नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनिजी मसा ने कही। रविवार को उनकी निश्रा में आचार्यश्री उमेश मुनिजी मसा का मासिक पुण्य स्मृति दिवस जापकर मनाया गया। इस मौके पर उग्र विहारी एवं अभिग्रहधारी श्री राजेशमुनि मसा एवं श्री राजेन्द्रमुनिजी मसा ने 48 किलोमीटर का उग्र विहार कर रतलाम में पदार्पण किया। मालव भूषण श्री महेन्द्रमुनिजी मसा मलवासा पहुंच गए। सोमवार को उनका रतलाम में मंगल प्रवेश होने की संभावना है।
प्रवर्तकश्री ने प्रवचन में कहा कि कुछ आत्माएं समयत्व प्राप्त करते हुए परमार्थ तक पहुंच जाती है। मन, वचन और काया से किया गया पुरूषार्थ ही परमात्मा तक पहुचंाता है, इसलिए ऐसे कर्म करो, जो परमार्थ तक पहुंचाए। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को संसार में अपने कर्मों का फल भोगना ही पडता है। आत्मा को अन्य धर्म परमात्मा का अंश मानते है, लेकिन जिनशासन आत्मा को ही परमात्मा मानकर कर्मों की निर्झरा पर बल देता है। इससे सीख लेकर प्रत्येक मनुष्य को संसार में उलझने के बजाए आत्मकल्याण के कार्य करना चाहिए।
अभिग्रहधारी श्री राजेशमुनिजी मसा ने प्रवचन में वर्षीतप की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तप और आराधना कभी व्यर्थ नहीं जाती। इसका फल सदैव कल्याणकारी रहता है। धर्मसभा को श्री दर्शनमुनिजी मसा एवं पूज्या श्री कल्पना जी मसा ने भी संबोधित किया। इस दौरान पूज्य श्री अभिनंदन मुनि जी मसा एवं महासती श्री रमणीक कुँवर जी मसा, पूज्या श्री चंदना जी मसा, पूज्या श्री लाभोदया जी मसा, पूज्या श्री जिज्ञासा जी मसा पूज्या श्री चंदनबाला जी मसा आदि ठाणा उपस्थित रहे।
श्री संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश मूणत ने बताया कि प्रवर्तकश्री की निश्रा में रतलाम में 22 एवं 23 अप्रैल को श्री सौभाग्य तीर्थ पर अक्षय तृतीया का वर्षीतप पारणा महोत्सव आयोजित होगा। इसके लाभार्थी मधुबाला-दिलीप गंग परिवार रहेगा। महोत्सव के दौरान प्रवचन श्री सौभाग्य तीर्थ में होंगे। इससे पूर्व प्रतिदिन सुबह पौने नो से पौने दस बजे तक नोलाईपुरा स्थानक पर प्रवचन रखे गए है। सभा का संचालन रखब चत्तर ने किया। अंत में सपना बहन चत्तर की स्मृति में धर्मचंद चत्तर परिवार एवं प्रेमलता बहन-मूलचंद चैपडा परिवार द्वारा प्रभावना वितरीत की गई।