रतलाम ivnews
वृंदावन के स्वामी श्री वामदेव ज्योर्तिस मठ के महामंडलेश्वर अन्नतदेव गिरी जी का कहना है की अगर आप मस्जिद के नाम पर लोगो को वोट के लिए इक्कठा कर सकते हो तो हम राम के नाम पर क्यों इक्कठा नही कर सकते है। अगर भाजपा राम मंदिर को चुनावी मुद्दा बनाती है तो इसमें कोई गलत नही है। हम भाजपा के साथ है। शंकराचार्य जी का अयोध्या नही जाना उनकी अपनी मर्यादा है। श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्र और धर्म संवत हो रही है। आप मूहर्त में कोई दोष हो तो बताइए।
वृंदावन के स्वामी श्री वामदेव ज्योर्तिस मठ के महामंडलेश्वर अन्नतदेव गिरी जी ने रतलाम में एक टीवी चैनल से बात करते हैं हुए यह बात कही। उन्होंने कहा की शंकराचार्य जी की अपनी मर्यादाएं होती हैं कहां रहना कैसे रहना यह तो एक अखाड़ा है वह आज ही नहीं राम जन्मभूमि का आंदोलन जब से चला है तब से वह अपनी मर्यादा में ही रहे हैं वह हर व्यवहार में अपने मर्यादा में ही रहते हैं और वहां पर हजारों की भीड़ जायेगी इससे उनके प्रोटोकॉल की कठिन समस्या है धर्म के क्षेत्र से शास्त्र की दृष्टि से इसलिए उनका अपना स्थान जहां है वहां रहेंगे।
प्राण प्रतिष्ठा धर्म संवत और शास्त्र सम्मत नहीं होने पर कहा कि नहीं ऐसा नहीं है रत्ती भर भी नहीं है किच भर भी नहीं है एक पैसा भर भी नहीं है समुद्र की एक बूंद के बराबर भी कुछ नहीं है। ऐसा अगर शंकराचार्य जी कह रहे हैं तो हम भी तो कह रहे हैं संतों में कोई विरोधाभास नहीं है कहीं कोई विरोधाभास नहीं है जिन्होंने मुहूर्त निकाला है वह कोई अंगूठा छाप नहीं है आप मुहूर्त में दोष बताइए कि यह दोष है मुहूर्त में आपको दोष बताना पड़ेगा। उन्होंने कहा की बिरला मंदिर का काम अभी भी दिल्ली में चल रहा है तो क्या वह अधूरे में उद्घाटन हो गया पूरे में उद्घाटन नहीं हुआ। जहां पर भगवान विराजमान होंगे हमें वहा की आवश्यकता थी । मंदिर की भव्यता का काम अब चलता रहेगा। मंदिर में हमने भगवान को विराजमान कर दिया। बाद में मंदिर में सोने के वर्क लगाते रहना यह तो जनता के ऊपर निर्भर करता है। उन्होंने कहा की राम मंदिर में अभी कुछ हुआ है क्या, कम से कम 10 वर्ष और लगेंगे। जल्दी के सवाल पर कहा कि क्यों जल्दी किसलिए जल्दी 500 वर्ष से इंतजार कर रहा था हिंदू समाज तो जल्दी कैसे हो गया ।यह बिल्कुल जल्दी नहीं है। राजाओं ने संतों ने राम भक्तों ने अपना रक्त दिया है इसे आप जल्दी कहेंगे कोई जल्दी नहीं है कतई जल्दी नहीं है। हम तो कहते हैं और पहले होना था। भगवान राम का छोटा सा चबूतरा समाज के लिए कलंक है।
भारतीय जनता पार्टी द्वारा राम मंदिर को चुनावी मुद्दा बनाने पर महामंडलेश्वर अन्नदेवगिरी जी ने कहा के बिल्कुल चुनावी मुद्दा बना लिया है और खूब बनाएंगे। संतों की भूमिका बीजेपी के साथ है।जब मस्जिद के नाम पर मुसलमान को इकट्ठा किया जाता है उनके वोट के लिए तो राम जी के नाम पर क्यों नहीं होना चाहिए जरूर होना चाहिए। उन्होंने कहा की जब लालकृष्ण आडवाणी जी ने यात्रा निकाली थी तब पूरी जनता या कांग्रेस पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों ने तब विरोध क्यों नही किया इसे चुनावी मुद्दा बनाने का । जिस समय घोषणा पत्र में बीजेपी लेकर के आई थी उसे समय पूरे देश की पार्टियों को विरोध करना चाहिए था कि यह राम जन्मभूमि का धर्म का मामला है इसमें राजनीतिक पार्टियों को नहीं पढ़ना चाहिए
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जाने के मामले पर बोले अच्छा है उनके बाप दादा या खानदान के लोग पहले कभी नहीं गए होंगे तो वह भी नहीं जाएंगे वह अपने बाप दादा के अनुसार चल रहे हैं जैसे उनके बाप दादा चले वैसे उनकी संतान चले तो उसमें बुरा क्या है आपको पता होना चाहिए कि टेंट में बैठे थे रामलाला कोई ऐसा दिन हुआ क्या जब पांच दस हजार लोग नहीं गए हो तो वह लोग जाएंगे जो 1992 से लेकर अभी तक 30 साल से जो समाज राम जी का दर्शन तंबू में कर रहा है वह जाएगा अब तो उसकी संख्या बढ़ गई है उनके बेटे जाएंगे बेटे के बेटे जाएंगे 30 साल में तो तीसरी पीढ़ी चलने लायक हो जाती है कोई बुराई की बात नहीं है।
धर्म और राजनीति अलग-अलग नहीं है। धर्म से राजनीति अलग नहीं की जा सकती धर्म से अलग राजनीति होगी तो वही होगा जो अभी तक स्वतंत्र देश में हुआ है हमारे देश की संपत्ति को लूट करके और खजाने में भर दिया गया बाहर विदेश में। धर्म से नियंत्रित राजनीति और राजनीति से नियंत्रित धर्म होना चाहिए। हमारे मठ मंदिरों पर कब्जा किसने किया दक्षिण के हजारों मंदिर किसने कब्जा जमाया सत्ता धारी उनका पैसा लूट रहे। राजनीतिक हस्तक्षेप कहां नहीं है।सब जगह है कोई ऐसा धर्म का कार्य बता दो जिसमे राजनीति नही हो। हमको आपने छोड़ा कहां है राजनीति में। उन्होंने कहा की हमारे किसी मंदिर में लाइट फ्री नही मिलती है। जबकि मस्जिद में लाइट फ्री मिलती है। वहां बिल नहीं आता। ऐसे में हम क्यों राम के नाम पर राजनीति नहीं करें।हम धर्म के नाम पर राजनीति करेंगे राम के नाम पर राजनीति करेंगे कृष्ण के नाम पर राजनीति करेंगे शिव के नाम पर राजनीति करेंगे। राजनीति में धर्म समाविष्ट होता है।