
रतलाम। विधान सभा चुनाव के लिए मतदान के लिए सिर्फ दो दिन शेष बचे हैं। बुधवार शाम को चुनावी शोर शराबा भी थम जाएगा । चुनावी प्रचार में उम्मीदवारों ने अपनी पूरी तख्त झोंक दी है। प्रचार में जिले की पांच सीटों में दो निर्दलीय उम्मीदवार भी पीछे नहीं रहे हैं। रतलाम ग्रामीण में कांग्रेस की सड़क पर आई बगावत के बाद भी कांग्रेस ने सरकारी साहब को टिकट देकर नेताजी बना कर ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस के पुराने नेताओ को हाशिए पर रख आखिरकार सरकारी साहब पर ही भरोसा जताया है। कांग्रेस की यह टीस अब भी इन पुराने कांग्रेसीयो के दिल में धधक रही है। सरकारी साहब लक्ष्मण सिंह डिंडोर पंजा छाप लेकर गांव गांव भटक रहे हैं। मीठी मीठी बातें कर कभी बेटा बन रहे तो कभी यह कहते सुने जाते है की मैं जीता तो ग्रामीण क्षेत्र का हर एक व्यक्ति विधायक होगा । डिंडोर साहब ने अपनी ढोंडी तो पीट दी लेकिन साहब का कितना प्रभाव वोटो में बदलेगा इस बात तो शक है ही । रतलाम ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बताते हैं भाजपा की लक्ष्मण रेखा कैसे टूट पाएगी यह अभी समय के गर्त मे है। लेकिन इतना तय है की सरकारी साहब के पंजा छाप से कहीं अधिक फूलछाप और निर्दलीय डॉक्टर साहब अपना चुनावी माहौल बनाने में सफल दिख रहे हैं। लेकिन चुनावी खर्चे में सरकारी साहब रहे उम्मीदवार असरदार दिख रहे हैं। वोटो के गणित में सरकारी साहब की मंजिल अभी दूर है।

दादा की अब वो बात नहीं
रतलाम शहर सीट से पंजा छाप लेकर दादा फिर प्रकट हुए हैं। वैसे दादा की राजनीति के गिरगिट की तरह रंग बदलते रूपो से हर कोई परिचित हैं। दादा के इस चुनाव थकेला पन नजर आ रहा है। जन सम्पर्क में वार्डो में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का टोटा साफ नजर आ रहा है। मंगलवार को जब दादा वार्ड नंबर 11 में आशीर्वाद मांगने निकले तो ऐसा लग रहा था कि सिर्फ अपनी हाजरी लगाने की रस्म अदायगी की जा रही हो । कांग्रेस नेताओं,कार्यकर्ताओ से कहीं अधिक शोर शराबा और तमाशबीन की तरह बच्चे शरीक हुए और ढोल बजाने वालो की संख्या यह जताती रही की कुछ हो रहा है। यदि दादा के उन पुराने निर्दलीय चुनाव को देखे तो उस की अपेक्षा दादा का जन संपर्क और जन समर्थन कमजोर प्रतीत हो रहा है। दादा के पिछले लड़े गए चुनाव का चुनावी माहौल इस चुनाव से अलग और भारी था । यह चुनाव तो बस …. ….चुनाव है।

चलते चलते…
चुनाव का मैदानी प्रचार बुधवार शाम थम जाएगा, मंगलवार की शाम को फूल छाप ने वार्डो में रैली निकाल कर त्यौहार के जश्न में चुनावी रंग घोल दिया । फूल छाप बुधवार को महाजनसंपर्क भी करेगा । ये रंग पंजा छाप के कानो तक क्या पहुंचा कार्यकर्ताओ के टोटे की पीड़ा झेल रहे पंजा छाप के उम्मीदवार ने अपनी शैक्षणिक संस्था का सहारा लिया उसके सफेद झंडो के साथ कुछ युवकों को ढोल के साथ दुपहिया वाहनों में दौड़ा दिया । इधर जिले की पांच सीटों पर दो निर्दलियों के दौड़ रहे आटो की रफ्तार को लेकर राजनेतिक दल तनाव में हैं। शक है कहीं ये आटो रोंदते हुए कहीं निकल नही जाए….?