
रतलाम,IV NEWS
भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा के बाद जवाबी हमला करते हुए कांग्रेस ने जन आक्रोश यात्रा निकाल दी । गुरुवार को रतलाम जिले के आलोट विधान सभा क्षेत्र में पहुंची जन आक्रोश यात्रा में पहुंचे आलोट के पूर्व विधायक प्रेम चंद गुड्डू ने अपने प्रभाव से आलोट की राजनीति को गर्म कर दिया है। इतना ही नहीं आलोट के कांग्रेस विधायक मनोज चावला का प्रभाव कमजोर साबित हुआ ।
कड़वा सच तो यह भी है कि विधायक चावला ने अपने ही विधान सभा क्षेत्र में अपनी ही पार्टी के बीच दरार होने का संदेश दिया, जो कांग्रेस नेता प्रेम चंद गुड्डू की आलोट से मजबूत दावेदारी और वर्तमान कांग्रेस विधायक मनोज चावला की बौखलाहट को ही प्रदर्शित करता है। कांग्रेस की इस जन आक्रोश यात्रा में जन को छोड़ पहले कांग्रेस नेताओं के आक्रोश को देखिए , ताल में प्रेम चंद गुड्डू भैया के मंच पर बैठे विधायक चावला ने अचानक मंच छोड़ कर चले गए। इतना ही नहीं गुटबाजी का नजारा बरखेड़ा में उस समय नजर आया जब दस फीट की दूरी पर कांग्रेस के दो मंच नजर आए, जिसमे एक मंच विधायक चावला का था जो प्रेम चंद गुड्डू की मजबूत दावेदारी के सामने अपनी शक्ति प्रदर्शन बताने का प्रयास करते रहे लेकिन यह सब राजनीति का उल्टा चश्मा की तहर ही नजर आया। इतना ही नहीं कांग्रेस विधायक चावला के विधान सभा क्षेत्र में कांग्रेस की जन आक्रोश यात्रा के दौरान मोदी मोदी के लगे नारे विधायक की निष्क्रियता और प्रभावहीन होंने के ही संकेत देता रहा । चर्चा तो इस बात की भी हैं टिकट वितरण के बाद आलोट क्षेत्र की राजनीति चरम पर होकर चुनाव यहां का रोचक होगा।

तो किसका कद ऊंचा….?
दो थाना क्षेत्रों के बीच यदि कोई बड़ी उपलब्धि हो जाए तो दोनो थाने के दरोगा साहब अपनी अपनी पीठ थपथपाने में जुट जाते है। ऐसा मामला यदि राजनीति में हो जाए तो फिर अपना अपना कद नापने में नेताजी जुट जाते हैं की सौगात किसके खाते में है। गत दिनों राजनीति में भी ऐसा ही कुछ हुआ, राजनीति के शहर थाने से लेकर ग्रामीण थाने तक के दो सफेदपोश के बीच होड़ मची राजनीति के शहर थाने के साहब ने बाजी मार ली जो राजनीति के ग्रामीण थाने के साहब को हजम नहीं हुई, अंदर ही अंदर आग सुलकती रही, फिर राजनीति के माइक टू को मोर्चा सम्हालना पड़ा किसी और बहाने से दोनो साहब लोगो को एक मुकाम पर खड़ा कर स्वागत सत्कार करवाया दोनो की पीठ थपथपई, किसी खुलासे की तर्ज पर फोटो वायरल करवाए राजनीति के माइक टू ने राहत की सांस ली, लेकिन इस पॉलिटिकल ड्रामे में फिर राजनीति के शहर थाने वाले साहब ने अपना जलबा साबित कर दिखाया और राजनीति के ग्रामीण थाने वाले साहब मन मसोस के रह गए जो कभी कभार दबी जुबान से इस पॉलिटिक्स ड्रामे के पीछे की हकीकत बयां करने की हिम्मत करते नज़र आ रहे हैं..?
दिल से किसने क्या माफ
मन वचन काया से की गई गलतीयो को भूल कर क्षपचना पर्व मनाया जाता है। एक दूसरे को मिच्छामी दुक्कड्म कहा जाता है। सोशल मीडिया पर बड़े बड़े संदेश आते हैं। क्षमा मांगना और क्षमा करना मानवीय प्रवृति में पवित्र माना जाता है। इस पर्व पर राजनीति में भी इस्तेमाल किया जाता हैं, लेकिन महज एक दिन पर्व मौके पर क्षमा मांगने के बाद राजनीति में सब कुछ भूल जाते है सिर्फ रस्म अदायगी होती हैं और राजनीति के मन भेद और मत भेद का सिलसिला वेदस्तुर जारी रहता है।