रतलाम iv news। बेटियां भी बेटो को तरह अपना फर्ज निभाने में आगे ही रहती हैं। पूर्व सेवा निवृत प्राचार्या का निधन हुआ तो अपनी मां की अंतिम इच्छा को पूरी करने के लिए शिक्षिका बेटी ने मां की देहदान कर फर्ज निभाते हुए समाज को एक संदेश दिया है। यह इकलौती बेटी है शिक्षिका अर्पिता त्रिवेदी , जिनकी मां सेवानिवृत प्राचार्या शीला त्रिवेदी का निधन होने पर बेटी ने मां की अंतिम इच्छा पूरी कर फर्ज निभाया ।
नेत्रदान और देहदान कर समाज को एक संदेश देते हुए मिसाल कायम की । इतना ही नहीं नम आंखों से मां की अर्थी को कांधा देकर बेटी होने का फर्ज पूरा किया। और शवयात्रा को मेडिकल कॉलेज भेजने के लिए रवाना किया।
जानकारी के मुताबिक आलीराजपुर जिले के जोबट कन्या उमावि में प्राचार्य रही श्रीमती शीला त्रिवेदी पति के निधन के बाद पिछले कुछ सालों से रतलाम जिले के सकरावदा स्कूल में कार्यरत इकलौती बेटी अर्पिता के पास रतलाम में मंगलमूर्ति कॉलोनी में निवास पर रहने लगी थी।
कुछ समय से बीमार शीला त्रिवेदी का शनिवार सुबह निधन हो गया। मां ने पूर्व में ही बेटी के समक्ष देहदान करने का संकल्प लेकर मेडिकल कॉलेज की दस्तावेजी प्रकिया पूरी कर ली थी। सुबह मां के निधन के बाद बेटी ने नेत्रदान कराए। वहीं परिजनों ने मेडिकल कॉलेज में देहदान की कॉलेज प्रशासन को सूचना दी। मां के बिछड़ने और अर्थी को देखकर बेटी अर्पिता की आंखों से आंसू बह निकले। अपने मंगल मूर्ति स्थित घर से मां की अर्थी को कंधा देकर बेटी कुछ दूर तक ले गई। फिर शव वाहन से देहदान के लिए मेडिकल कॉलेज भिजवाया गया। हृदय विदारक इस दृश्य को देश हर एक की आंखे नम हो गईं….।
मेडिकल कॉलेज में डीन डॉ जितेंद्र गुप्ता, समाजसेवी गोविंद काकानी की मौजूदगी में देहदान किया गया। शिक्षिका बेटी अर्पिता त्रिवेदी ने बताया कि
मेरी मां पूर्व सेवा निवृत प्राचार्या रही हैं। वो अच्छी कवियत्री भी थी ।