रतलाम, IVNEWS सुबह का मौसम सुहावना था, आकाश में मूक परिंदे उड़ान भर रहे थे । पेड़ो में बने घोसलों में नवजात परिंदे आकार लेकर बाहर आने की कोशिशों में थे , लेकिन इन परिंदों को क्या पता था कि उनके चहचहाने से पहले ही उनकी आवाज़ थम जाएगी । सोमवार सुबह ऐसा ही नजारा आस्था स्थल कालिका माता मंदिर परिसर में हुआ , जहां हनुमान मंदिर के सामने झूमते गाते बड़े पेड़ पर बने घोसलो में पल रहे मूक परिंदे बगुले के जीवन पर संकट आ गया ।


मानसून के पहले रखरखाव के तहत नगर निगम पेड़ो की छटाई कर रही हैं । लेकिन निगम ने छटाई के नाम पर पेड़ की टहनियों की जमकर ऐसी कटाई की जिसमे घोसले टूट कर नीचे गिर गए । घोसलों के गिर कर टूटने से कुछ नवजात बगूलों की तो हत्या हो गई जो मौत के मुंह मे समा गए ,और कुछ मासूम बगुले छटपटा कर टूटी टहनियों में फंसे रहे ।

घायल बगूलों को कहीं सुरक्षित रास्ता तक नहीं मिला । शहर में सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर पर्यावरण संरक्षण की तो बहुत बाते होती हैं लेकिन लगता है ऐसे लापरवाही वाले हादसों में संरक्षण जैसा शब्द भी सवालों में घिर कर शर्मसार होता है । जीवन और मौत के बीच खेल रहे इन बगूलों को संरक्षण यहां घूमने वाले निम्न तबके के बच्चों ने ही दिया । और पर्यावरण की वकालात करने वाले वेखबर ही रहे ।

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