
भोपाल ( ivnews ) छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप से 25 मासूमों की मौत के बाद अब मामला राजनीतिक रंग ले चुका है. कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केंद्र की बीजेपी सरकार और मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार दोनों पर बड़ा हमला बोला है.कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि पूरे प्रकरण में केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की भूमिका संदिग्ध है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और प्रदेश के बीच मिलीभगत से इस पूरे मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है.
जीतू का दावा केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग सोनू राणा चला रहे
जीतू पटवारी ने इस दौरान सोनू राणा नाम के व्यक्ति का जिक्र किया. उन्होंने दावा किया कि न तो सोनू राणा किसी सरकारी पद पर हैं, न ही किसी राजनीतिक जिम्मेदारी पर, लेकिन बच्चों की मौत से उनका सीधा संबंध है.पटवारी का आरोप है कि सोनू राणा मेडिकल कंपनियों और स्वास्थ्य विभाग के बीच डील करवाते हैं, और इन्हीं की कोशिश से ड्रग कंट्रोलर को बचाने की साजिश की गई.सोनू राणा ही असल में विभाग चला रहे हैं. टेंडर सप्लाई से लेकर हर डील में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और एमपी स्वास्थ्य विभाग के बीच वही कड़ी बने हुए हैं
तीन अफसरों पर मिलीभगत का आरोप, सीबीआई जांच की मांग
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के पीएस यादव, सोनू राणा और आदित्य तीनों एक साथ काम कर रहे हैं और पूरे घोटाले में शामिल हैं. उन्होंने मांग की कि इन तीनों के फोन कॉल रिकॉर्ड की सीबीआई जांच कराई जाए ताकि सच सामने आ सके.
जीतू ने की SIT जांच की मांग
जीतू पटवारी ने यह भी दावा किया कि छिंदवाड़ा सहित आदिवासी इलाकों में पिछले कई महीनों में 150 से ज्यादा बच्चों की मौतें हो चुकी हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले को हल्के में ले रही है जबकि यह मानवता पर बड़ा अपराध है. कांग्रेस ने SIT जांच की तत्काल मांग की है ताकि किसी भी स्तर पर दबाव या पक्षपात की गुंजाइश न रहे.
श्रीसन फार्मा के मालिक रंगनाथन गोविंदन पुलिस रिमांड पर
इस बीच, जांच में बड़ी कार्रवाई करते हुए एसआईटी ने श्रीसन फार्मा के मालिक रंगनाथन गोविंदन को चेन्नई से गिरफ्तार किया है.गोविंदन को परासिया कोर्ट में पेश किया गया, जहां भारी सुरक्षा के बीच हंगामा मच गया. जब उनका चश्मा गिरा, तो लोगों ने फांसी दो, फांसी दो” के नारे लगाए. जानकारी के अनुसार, इसी कंपनी द्वारा निर्मित Coldrif” कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत हुई थी।
निष्पक्ष जांच की मांग तेज
अब सवाल यह है कि जीतू पटवारी के इन गंभीर आरोपों पर सत्ता पक्ष क्या जवाब देता है.क्या सरकार वास्तव में इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाएगी या मामला राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में ही उलझकर रह जाएगा.