
रतलाम ( ivnews) सरकारी तालाब से पानी लेने को लेकर दो पक्षो मे हुए खुनी संघर्ष के मामले मे न्यायालय ने अपना फैसला सूना दिया. नो पक्षों के बीच हुए इस विवाद के मामले मे न्यायालय ने एक पक्ष के तीन लोगों को आजीवन कारावास और दूसरे पक्ष के भी तीन लोगों को पांच- पांच वर्ष की सजासे दण्डित किया है.
जिला न्यायालय रतलाम के सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश राजेश नामदेव ने फैसला सुनाते हुए आरोपी दिलीप सिंह पिता शंभू सिंह, योगेंद्र सिंह पिता दिलीप सिंह व जितेंद्र सिंह उर्फ भोम सिंह पिता महिपाल सिंह राठौड़ तीनों निवासी गांव चितावत को भारतीय दंड सहिता की धारा 302 में आजीवन कारावास व दस-दस हजार रुपए का जुर्माना, धारा 307 में 7 वर्ष का कारावास व दो-दो हजार रुपए का जुर्माना व धारा 323 में 6 माह का कारावास व पांच-पांच सो रूपये के जुर्माने से दंडित किया है।
प्रकरण में पैरवीकर्ता अपर लोक अभियोजक एवं शासकीय अधिवक्ता समरथ पाटीदार ने बताया कि 11 फ़रवरी 2017 को फरियादी असलम खा निवासी चितावत द्वारा रिपोर्ट लिखाई गई थी कि रात करीब 9:15 बजे चितावाद के सरकारी तालाब पर ताज मोहम्मद व दिलीप सिंह की पानी की मोटर चल रही थी, दिलीप सिंह ने ताज मोहम्मद से मोटर बंद करने को कहा जिस पर ताज मोहम्मद के मना करने पर महिपाल सिंह, भीम सिंह, लोकेंद्र सिंह, तेज बहादुर सिंह एक मत होकर आए और ताज मोहम्मद पर लोहे की रॉड से जान से खत्म करने की नीयत से हमला कर दिया। जब वह, व शहादत खा, ताज मोहम्मद को छुड़ाने लगे तो भीम सिंह व लोकेंद्र सिंह ने उसके सिर पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया। जिससे उसे भी चोट आई। इन पांचो ने मिलकर ताज मोहम्मद की हत्या कर दी। फरियादी असलम खां की सूचना के आधार पर थाना बिलपांक पर अभियुक्तगण के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 147, 148, 149, 323 की रिपोर्ट दर्ज की गई थीं.
विशेषज्ञ डॉक्टर की रिपोर्ट को महत्वपूर्ण माना —
तत्कालीन थाना प्रभारी वरुण तिवारी ने इस प्रकरण में जॉच के दौरान मृतक ताज मोहम्मद का पीएम करवाया व घटना स्थल का नक्शामोका बनाया व गवाहों के बयान लिए व दिनांक 25 फ़रवरी 2017 को अभियुक्तगण को गिरफ्तार किया व उनसे पूछताछ कर उनसे घटना में प्रयुक्त लोहे की रॉड पाइपनुमा, लोहे का पेचकस जप्त किए गए उसके बाद इनकी मेडिकल ऑफिसर से क्वेरी करवाई गई, मेडिकल ऑफिसर डॉ मुकेश डाबर और डॉक्टर भरत निनामा द्वारा अभीमत दिया गया था कि मृतक ताज मोहम्मद को सीने पर कारीत चोट उपरोक्त पेजकस से एवं जप्त लोहे की पाइप से आना संभव होकर मृत्यु होना संभव है।
वैज्ञानिक रिपोर्ट भी आधार बनी:-
शासकीय अधिवक्ता समरथ पाटीदार ने बताया कि सजा के लिए वैज्ञानिक रिपोर्ट भी आधार बनी. मृतक ताज मोहम्मद के खून लगे हुए कपड़े, घटनास्थल से खून आलू दा मिट्टी भी जप्त की गई थी, इन्हें जप्तसुदा लोहे की रॉड व लोहे के पेचकस के साथ जांच हेतु प्रयोगशाला भेजा गया था, प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार मिट्टी, लोहे की रॉड, पेचकस, बनियान, शर्ट, और पहने हुए कपड़ों में मानव रक्त पाया गया था, उपरोक्त मानव रक्त बी समूह का था
दोनों पक्षों के बीच हुई थी फ्री फ्राइट:-
इसी प्रकरण में दिलीप सिंह द्वारा भी दूसरे पक्ष के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी कि तालाब से मोटर चालू करने व मोटर जला देने की बात को लेकर शहादत हुसैन, असलम नूर व शरीफ खान के द्वारा लोहे के धारिए, लोहे की दातारी व लोहे की कटार से योगेंद्र सिंह, हितेंद्र सिंह पर प्राणघातक हमला किया, दिलीप सिंह की रिपोर्ट पर से शहादत हुसैन, असलम नूर व शरीफ खान के विरुद्ध भी बिलपांक थाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 34 का प्रकरण दर्ज किया गया था।
एक पक्ष के एक की हत्या तो दूसरे पक्ष के तीन घायल हुए थे
फ्री फाइट में एक पक्ष से एक की हत्या व दो व्यक्ति घायल हुए थे, दूसरे पक्ष से तीन लोग घायल हुए थे. दोनों क्रास प्रकरण होने से दोनों प्रकरणों का विचारण सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश राजेश नामदेव की न्यायालय में साथ में चले, न्यायालय ने सुनवाई के दौरान इस प्रकरण में भी शहादत हुसैन, असलम नूर व शरीफ खान को भारतीय दंड संहिता की धारा 326 में 5,5,5 वर्ष का सश्रम कारावास व दो,दो,दो हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया इस प्रकरण में पैरवी अपर लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान ने की थी।