रतलाम शहर में रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया ‘ सुनें सुनाएं ‘ आयोजन तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है । बिना किसी शोरगुल और सहयोग के सिर्फ़ रचनात्मकता को बढ़ाने का यह आयोजन शहर के सुधिजनों के स्नेह के कारण अपने 24 सोपान पूर्ण कर चुका है । ‘सुनें सुनाएं’ का 25 वां सोपान 6 अक्टूबर रविवार को प्रातः 11 बजे जी.डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल, प्रथम तल, रतलाम पर होगा।

इस सोपान में दस रचनाप्रेमी अपनी प्रिय रचना का पाठ करेंगे।मणिलाल पोरवाल द्वारा वीरेन्द्र मिश्र की रचना ‘ लगा आवाज़ लगा ‘ का पाठ, डॉ. विजया कुशवाह द्वारा डॉ .नीरज जैन की रचना ‘ फिर वही सर्द हवा आई है’ का पाठ, दुष्यन्त कुमार व्यास द्वारा रामकुमार चतुर्वेदी “चंचल” की रचना ‘मुझे सपने दिखाओ मत’ का पाठ,सुश्री रक्षा कुमार द्वारा डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला की रचना ‘डरी हुई है मां’ का पाठ।श्रीराम दिवे द्वारा सत्यमित्रानंद जी की रचना ‘साथी घर जा कर मत कहना ‘ का पाठ, बृजेश कुमार गौड़ द्वारा रामधारी सिंह दिनकर की रचना ‘कृष्ण की चेतावनी’ का पाठ, श्रीमती मीनाक्षी मलिक द्वारा आशीष दशोत्तर की रचना ‘ दुनिया से किनारा कर लिया मैंने ‘ का पाठ, लगन शर्मा द्वारा डॉ . हरिवंश राय ‘बच्चन’ की रचना ‘ख़्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की ‘ का पाठ , दिनेश जोशी, बाजना द्वारा शरद जोशी की व्यंग्य रचना ‘ उफ़! अतिथि तुम कब जाओगे? ‘ का पाठ और पंडित मुकेश आचार्य द्वारा कैलाश वशिष्ठ की रचना ‘बेटी के सवाल पिता से ‘ का पाठ किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि इस आयोजन में कोई अपनी रचना नहीं पढ़ता है। अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ बिना किसी भूमिका के किया जाता है। आयोजन समय पर प्रारंभ हो कर समय पर समाप्त हो जाता है। ‘सुनें सुनाएं’ ने शहर के सुधिजनों से आयोजन में उपस्थित रहने का आग्रह किया है।

error: Content is protected !!