रेलवे में ठेकेदारी से कार्य कराने की प्रथा पुराने समय से चली आ रही है लेकिन अभी कुछ समय में देखा गया है रतलाम रेल मण्डल के अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों पर कुछ ही ज्यादा मेहरबानी की जा रही है. अधिकारियो की यह मेहरबानी कुछ चुनिंदा ठेकेदारों पर ज्यादा ही हो रही है.
इन ठेकेदारो को काम के साथ-साथ रेलवे क्वार्टर को गोदाम के रूप में उपयोग करने की छूट दी जा रही है. अधिकारियो की मेहरबानी से अब ठेकेदारों का आलम तो यह हो गया की सरकारी अधिकारियों के लिए बनने वाले रेस्ट हाउस में भी ठेकेदार अपना हुकुम चलाते हुए पार्टियां करते हुए देखे जा सकते हैं.
कुछ समय पहले एक ठेकेदार की शिकायत उच्च अधिकारियों को हुई थी. शिकायत थी की जूनियर रेलवे इंस्टिट्यूट के पीछे पड़ी एक खाली जगह को रेलवे का बड़ा ठेकेदार गोदाम के रूप में इस्तेमाल कर रहा है.. शिकायत के बाद आनन फानन मे रेलवे उस जगह की खाली को कराया था.. यह वही ठेकेदार जिसने डाक्टरो के लिए आवास बनाए थे. इन आवसो का कार्य की गुणवत्ता ऐसी थी की लोहे का गेट गिर गया था जिसमे एक बच्ची के साथ गंभीर हादसा हो गया था. रेल मंडल मे इस ठेकेदार को लेकर चर्चा है की आशिकारियो की मेहरबानी इस पर कुछ ज्यादा ही रहती है.
रतलाम रेल मण्डल के कुछ अधिकारी ठेकेदारों पर इतने जायदा मेहरबान होते है की जब ठेकेदारों को कोई कार्य नहीं मिलता है तो उन्हें उपयोगविहीन कार्य निकाल निकाल कर दिया जाता है और ठेकेदार उस कार्य को अपनी मर्जी से जैसा चाहे वैसा मैटेरियल इस्तेमाल करके करते हैं। अधिकारियो की यह मेहरबानी ठेकेदारों पर क्यू हो रही है….. इसको लेकर तरह तरह की कानाफुसी रेल मण्डल कार्यालय मे हलचल मचा रही है.
कर्मचारी परेशान….. जर्ज़र आवास बने गोदाम
कई रेलवे कर्मचारी ऐसे हैं जिन्होंने आज भी रेलवे आवास के लिए कई बार आवेदन आई ओ डब्ल्यू विभाग सहित और अधिकारियो को दिए हैं लेकिन उनके द्वारा उन पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता अपितु ठेकेदारों को मकान ही क्या बड़े-बड़े बंगले गोदाम के रूप में इस्तेमाल के लिए जर्जर अवस्था में बता कर दे दिए जाते हैं वर्तमान में एक ठेकेदार तो अधिकारियों का इतना प्रिय है कि अधिकारियों के खुद के बंगले से लेकर तो अधिकारियों के मिलने वाले रिश्तेदारों के भी मकान के काम उस ठेकेदार से करवाए जाते हैं । इस ठेकेदार पर अधिकारी की मेहरबानी को लेकर काना फुसी जमकर चल रही है.
अपनी मर्जी की मालिक ……
पिछले कई दिनों से रतलाम रेल मण्डल का कमर्शियल विभाग एक बाबू को लेकर चर्चा मे रहा, चर्चा बाबू के आलम की थी. बाबू को आलम मिले थे अपने वरिष्ठ अधिकारी से……बाबू साहब के आलम यह थे की बाबू साहब ने जिस कर्मचारी के लिए जो कह दिया कमर्शियल के बड़े कर्मचारियों को वही मानना होता था,… बाबू की शिकायत मुंबई तक पहुंची.. शिकायत के बाद भी.. कमर्शियल विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने उसे नहीं हटाया.. लेकिन विजलेंस के कड़क भाषा शैली वाले पत्र ने थोड़ा असर दिखाया…. पत्र के बाद बाबू को हटाया गया….इस बाबू के बारे में बताया जाता है कि पुराने कमर्शियल के अधिकारी जो इन दिनों एक समुद्र किनारे के शहर के पास पोस्टिंग है वह तो यह कहते थे कि इस कर्मचारी ने जो कुछ कह दिया समझो कमर्शियल के मुखिया ने कह दिया,…. अब यह कर्मचारी रतलाम से कुछ किलोमीटर पर नौकरी कर रहा है लेकिन मंडल कार्यालय के गलयारो मे काना जो चल रही है उसके मुताबिक इस बाबू पर कितने दिन यह गाज गिरकर रह सकती है और कितने दिन में इस पर पुनः मेहरबानी हो जाएगी यह चर्चा जोरो पर है.
यह कैसी पोस्टिंग……
एक को दी पोस्टिंग दूसरे को बोला छुट्टी पर जाओ…. इस विषय पर रतलाम रेल मंडल मे इन दिनों काफी काना फुसी चल रही है….. कानाफुसी के मुताबिक रतलाम मंडल कार्यालय में इन दिनों एक अधिकारी की पोस्टिंग को लेकर काफी चर्चा चल रही है… बताया जाता है कि इस कुर्सी पर कई वर्षों से रतलाम के भीष्म पितामह या उच्च अधिकारियों और बड़े नेताओं के बीच की कड़ी वाले एक अधिकारी विराजित थे, लेकिन पदोन्नति प्राप्त एक अधिकारी को भीष्म पितामह अधिकारी की जगह पोस्टिंग कर भीष्म पितामह को छुट्टी पर भेज दिया गया. 7 से 10 दिन की छुट्टी पर भेजे गए भीष्म पितामह की छुट्टी की अवधि बीतने के बाद भी वापसी का रास्ता अभी तय ं नहीं हुआ. अब यह कब होगा कब नहीं यह सबके लिए एक अनसुलझी पहेली बन कर काना फुसी का विषय बन गया है.