
■< विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पँजाछाप की नब्ज टटोलने आए राजा साहब ने अपनी जमात के लिये जाजम बिछा कर एक एयर कंडीशनर होटल में जागरूकता के साथ एकता का पाठ पढ़ाया । विषय था – चुनाव कैसे जीता जाए ? राजा साहब ने प्राइवेट स्कूलों में लगे सीबीएससी पैटर्न की तरह बोल दिया भाजपा के पैटर्न पर बूथ मजबूत करो । राजा साहब ने अपना दर्द बयां कर यहां तक कह दिया भाजपा के मित्रों से तो मुलाकात हो जाती हैं लेकिन कांग्रेस के मित्रों से नही । यानी राजा साहब भी फुलछाप की पर्दे के पीछे वाली मित्रता बता गए । इतना ही नही जाते जाते उन्होंने पँजाछाप के मित्रों में ऊर्जा भरने के लिए कहा अबकी बार कांग्रेस की सरकार आएगी , लेकिन कांग्रेस बूथ स्तर पर कमजोर है । राजा साहब के जाते ही चौराहों पर तरह तरह की चर्चाएं सुनने को मिली एक पुराने पँजाछाप नेताजी ने चुटकी लेते हुए कहा राजा साहब तो फुलछाप को जिताने आते हैं …? मेयर के चुनाव में मिले भारी भरकंप वोट को आधार बना कर शहर में जीत के सपने देखे जा रहे है , क्या वह लीड कांग्रेस की थी ? वो तो उम्मीदवार के व्यक्तिगत वोट थे । चुनाव में अभी समय है ” तेल देखो तेल की धार देखो ” क्या से क्या हो जाएगा , देखते देखते यह तो राजा साहब भी समझते हैं ….?

■ पल भर भी नही टिकी एकता …..?
पँजाछाप की क्लास लेकर फायरब्रांड नेता राजा साहब मीडिया से रूबरू होने पहुंचे । यहां राजा साहब के पढ़ाए गए एकता का पाठ तार- तार होता नज़र आया । राजा साहब के सामने अपना राजनेतिक कद बढ़ाने के लिए पच्चीस साल पहले नगर के प्रथम नागरिक रहे नेताजी पहुंचे तो पँजाछाप की शहर में कमान संभाले नेताजी ने रोक दिया कि सिर्फ मीडिया वाले ही एलाऊ है । इतना सुनते ही वो कभी प्रथम नागरिक रहे , नेताजी वही भड़क उठे , और नसीहत देने में देर नही की । वो तो अच्छा था कि मौके की नज़ाकत को समझ कर कर कमान सम्हालने वाले पँजाछाप के शहर नेतृत्व कर्ता मौन रहे और नजरें झुकाए मोबाइल देखने लगे । बस प्रथम नागरिक भी कमरे से बाहर आ गए । लेकिन मन मे तो आग धधक रही थी । राजा साहब के जाते ही पुराने प्रथम नागरिक नेताजी, पँजाछाप के शहर नेतृत्वकर्ता पर विफर गए और जमकर सबक सिखाने में देर नही की । वह तो अच्छा था मौके पर मौजूद एक खबरनवीस पर नजर पड़ गई, और मामला शांत हो गया, नही तो यह भड़ास कितनी हदे पार कर सकती थी । अब पँजाछाप के नेताओं को सोचना चाहिए कि जिन्हें बूथ मजबूत करने की जिम्मेदारी दी जा रही हैं वो कितना मजबूत है …? फिलहाल पँजाछाप माउथ पब्लिसिटी के आधार पर चलाई जा रही सियासत मिलने की हवा को उन्हीं के कर्णधार कहीं पंचर नहीं कर दे ….?
■ कम्प्लीट हुई भैया की फ़िल्म

दस साल से विकास के एक विभाग की खाली पड़ी बड़ी कुर्सी पर फुलछाप के नाराज एक युवा भैया की ताजपोशी हो गई । भैया ने कुर्सी हथिया कर अपनी राजनेतिक पकड़ बताई वही केबिनेट मंत्री का दर्जा लेकर अपनी ताखत भी बता दी । कुर्सी सम्हालने वाले दिन भैया ने स्वागत रैली निकाली । हर एक फुलछाप को न्यौता दिया । कुछ खुश थे , कुछ ना खुश तो कुछ मजबूरी बताते हुए रैली का हिस्सा नहीं बन सके । भैया की रैली निकाली और पदभार ग्रहण का बड़ा समारोह भी हुआ । शहर में फुलछाप के राजनैतिक समीकरण गिरगिट बने रहे । एक तरफ बड़े नेताओं की बन्द कमरे में मीटिंग चलती रही जो समारोह से दूर रहे । दूसरी तरफ इंदौरी युवा नेता समारोह में पहुंचे और फुलछाप के आकाश में स्थानीय राजनैतिक स्थितियों को समझते हुए बड़ी सहजता से अपने भाषण में गोले दागते रहे कि यह कार्यकर्ताओ की पार्टी है किसी एक नेता की नही । यदि एक नेता की होती तो बिखर जाती । समारोह में फुलछाप के स्थानीय कद्दावर नेता पहुंचे तो ऐसा लगा कि कार्यकर्ताओ को किसी विटामिन की दवा मिल गई हो । भैया ने अपने भाषण में ईशारो ही ईशारोमें सब कुछ समझाते हुए अपनी राजनेतिक ताखत बताने की कोशिश की । ताजपोशी का यह टेलर तो पूरा हो गया लेकिन अब फ़िल्म रिलीज होना है , देखना तो यह दिलचस्प होगा कि भैया की फ़िल्म सुपरहिट होती हैं या फ़्लाप ,यह तो समय के गर्त में छिपा है ……?