
रतलाम /भारतवर्ष का इतिहास अनेक बलिदानियों के बलिदान से भरा हुआ है जब बात मानवता की रक्षा की शहादत के लिए देने की आती है तो सिखों के नवे गुरु तेग बहादुर जी की शहादत का अनुपम उदाहरण दुनिया के सामने रहता है गुरु तेग बहादुर जी ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान दिया तथा समाज से आह्वान किया की ड़र और भय से कभी भी अपना धर्म नहीं छोड़ना चाहिए ।

” गुरु तेग बहादुर बोलया धर पइए धर्म न छोड़िए” लोगों के मन से आता ताइयों का डर और भय समाप्त करने के लिए उन्होंने स्वयं अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे । आपका जन्म अप्रैल 1621 में पंजाब में अमृतसर में माता नानकी और गुरु हरगोविंद सिंह के घर पर हुआ था । श्री गुरु तेग बहादुर शैक्षणिक विकास समिति द्वारा तेग बहादुर जी का प्रकाश पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।

28 अप्रैल को श्री अरविंद मार्ग पर श्री गुरु तेग बहादुर एकेडमी परिसर स्थित खालसा सभागृह में ज्ञानी मानसिंह व पथ प्रसिद्ध कीर्तनी भाई जसकरण सिंह पटियाला वाले व साथी फतेह सिंह चाँद सिंह द्वारा कीर्तन कर सँगत को निहाल किया गया और संगत को अपनी सुमधुर वाणी से गुरू शब्द का गायन कर जोड़ा तथा इसके पश्चात गुरु का अटूट लंगर बरता ।

आज 29 अप्रैल सोमवार को सुबह अखंड पाठ साहब की समाप्ति अरदास होगी तथा दोपहर 1:30 बजे समाप्ति के पश्चात गुरु का अटूट लंगर बरतेगा ।समिति अध्यक्ष सरदार गुरनाम सिंह डंग उपाध्यक्ष हरजीत सिंह चावला कोषाध्यक्ष देवेंद्र सिंह वाधवा प्रवक्ता सुरेंद्र सिंह भामरा समिति सदस्य सतपाल सिंह डंग हरजीत सलूजा धर्मेंद्र गुरु दत्ता समाज के कुलवंत सिंह सग्गू अमरपाल वाधवा गगनदीप सिंह डंग सहित समाजजन मौजूद थे l