रतलाम / शहर के सिविक सेन्टर की अवैध रजिस्ट्रियों के मामले की जांच अब लोकायुक्त पुलिस ने भी प्रारंभ कर दी है। लोकायुक्त पुलिस के एक दल ने आज रतलाम में नगर निगम और रजिस्ट्रार कार्यालय से कई दस्तावेज प्राप्त किए।मामले की शिकायत लोकायुक्त को दो पत्रकार रफीक खान और तुषार शर्मा ने की थी।

इस शिकायत के बाद मामले से जुडे दस्तावेज एकत्रित करने लोकायुक्त उज्जैन का दल लोकायुक्त डीएसपी सुनील तालान के नेतृत्व में आज पहुंचा था। डीएसपी सुनील तलान के मुताबिक सिविक सेन्टर की जमीनों की अवैध रजिस्ट्रियां कराई जाने की शिकायत लोकायुक्त पुलिस को भी प्राप्त हुई थी,जिस पर से लोकायुक्त पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया गया है। इसी मामले की जांच के क्रम में नगर निगम के दस्तावेज हासिल करने के लिए नगर निगम को पत्र लिखा गया था। इसी तरह रजिस्ट्रार कार्यालय को भी पत्र लिखा गया था। डीएसपी श्री तालान ने बताया कि मामले से जुडी फाइलों के दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपियां और कुछ अन्य जानकारियां नगर निगम से चाही गई थी।नगर निगम ने सारी जानकारियां तैयार करके रखी थी। जिसे लोकायुक्त दल ने प्राप्त की। लोकायुक्त पुलिस द्वारा सिविक सेन्टर से जुडी सभी रजिस्ट्रियों की प्रतिलिपियां भी मांगी गई थी।लोकायुक्त दल ने राजिस्तर कार्यालय से करीब 38 रजिस्ट्री की प्रतिलिपियां ली।रजिस्ट्रार कार्यालय से भी नगर निगम द्वारा कराई गई सिविक सेन्टर के भूखण्डों की लीज डीड और इसके लीज धारकों द्वारा आगे अन्य व्यक्तियों को करवाई गई रजिस्ट्रियों की प्रमाणित प्रतिलिपियां भी प्राप्त कर ली गई है। श्री तालान ने बताया कि इन दस्तावेजों के अध्ययन के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।

यह है  मामला

राजीव गांधी सिविक सेन्टर के करीब 22 भूखण्डों की लीज अचानक से नगर निगम द्वारा 22 लीज धारकों के पक्ष में करवा दी गई थी। लीज करवाने से पहले निगम के अधिकारियों ने ना तो महापौर,ना एमआईसी और ना ही निगम परिषद को इस बात की जानकारी दी थी। इतना ही नहीं,जिन व्यक्तियों के पक्ष में नगर निगम द्वारा लीज डीड करवाई गई थी,उन सभी ने लीज डीड होनेके कुछ ही समय पश्चात इन भूखण्डों की रजिस्ट्रियां कुख्यात भू माफिया राजेन्द्र पितलिया से जुडे लोगों को करवा दी थी। जबकि नगर निगम की लीज डीड में यह शर्त स्पष्ट उल्लेखित है कि भूखण्डों पर व्यावसायिक निर्माण किए बगैर इनका अंतरण नहीं करवाया जा सकता।

आयुक्त हो चुके है निलम्बित

मामले के उजागर होने के बाद यह पूरा घोटाला निगम परिषद के साधारण सम्मेलन में छाया रहा था और निगम परिषद ने सर्वानुमति से इन रजिस्ट्रियों को शून्य करने का प्रस्ताव भी पारित किया था। इस मामले में राज्य शासन ने आयु्क्त एपीएस गहरवार  को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया था।

By V meena

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