
रतलाम ivnews आदिवासी संसदीय सिट रतलाम – झाबुआ संसदीय सीट में रतलाम भी शरीक है जिसे पृथक सीट की मांग सालो में होती रही जो अब तक पूरी नहीं हुई लिहाजा इस सीट पर सांसद की जीत में रतलाम का सबसे बड़ा योगदान रहता है लेकिन जीत के बाद रतलाम शहर और ग्रामीण के मतदाता ही अपने आप को ठगा सा महसूस करते हैं। चुनाव में भाजपा को सबसे बड़ी जीत इन्ही मतदाताओं ने दिलवाई थी और झाबुआ के गुमान सिंह डामोर को सांसद बना कर लोक सभा में भिजवाया था बाबजूद इसके गुमान सिंह डामोर जीत दिलवाने वाले इन मतदाताओं के लिए शायद लोक प्रिय नहीं बन सके । इन पांच सालो की बात करे तो सांसद गुमान सिंह डामोर का रतलाम शहर और ग्रामीण में कोई रुचि नहीं रही वे केवल उद्वघाट , शासकीय बैठक या भाजपा संगठन के आयोजन के लिए इस क्षेत्र में नजर आए । यही कारण है कि भाजपा के इंटनर सर्व में गुमान सिंह डामोर को लेकर मतदाताओं का आक्रोश सामने आया जिससे इस बार के चुनाव में उन्हें उम्मीदवार घोषित करने में भाजपा को संकट का सामना करना पड़ सकता है । यदि भाजपा सांसद डामोर को दूसरी मर्तबा उम्मीदवार घोषित करती है तो शायद ये पार्टी की मजबूरी ही नजर आएगी । भाजपा के गोपनीय सर्वे की मिली रिपोर्ट देख कर भाजपा ने 11 फरवरी को झाबुआ में पीएम नरेंद्र मोदी की पहली सभा झाबुआ में जनजाति सम्मेलन के रूप में कर मतदाताओं के मन को मनवाने का प्रयास किया है क्योंकि यह तो तय है इस सीट पर यदि भाजपा को वोट पीएम मोदी के चेहरे और राम लहर में ही मिलते नजर आयेंगे क्योंकि सांसद गुमान सिंह डामोर अपने कार्यकाल में भाजपा के वोट बैंक में इजाफा नहीं कर सके है। और तो और सैलाना विधान सभा को ही तीसरे नंबर पर ला कर खड़ा कर दिया जो उनकी लोक प्रियता पर ही सवाल खड़ा कर रहा है।
जिसके सहारे जीते वो ही दरकिनार …?
बात यदि साल 2019 के लोक सभा चुनाव की करें तो इस साल के चुनाव में भाजपा ने यह सीट कांग्रेस से छीनी थी। भाजपा की इस जीत का विकल्प रतलाम नगर और रतलाम ग्रामीण के वोटर बने थे । इस चुनाव भाजपा के गुमान सिंह डामोर को 6 लाख 96 हजार 103 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया को 6 लाख 5 हजार 467 वोट मिले थे, यानी कांग्रेस के भूरिया ने भाजपा के डामोर को जोरदार टक्कर दी थी लेकिन 90 हजार 636 वोट से भाजपा विजय श्री हुई थी क्योंकि सबसे बड़ा जीत में योगदान रतलाम शहर का रहा था शहर से 53 हजार 138 वोट की भरी भारकंप लीड मिलने से भाजपा का बहुत बड़ा गढ्ढा भर गया और गुमान सिंह डामोर को जीत का सेहरा पहना दिया गया। रतलाम ग्रामीण से भाजपा को 37 हजार 738 वोटो की लीड मिल गई थी और सैलाना , जोवट और झाबुआ ने तो कांग्रेस को जीता दिया था। अलीराजपुर, थांदला और पेटलावद से भी भाजपा को कांग्रेस के मुकाबले कुछ फ़ीसदी ही वोट अधिक मिल सके तो जिसे मोदी चेहरे की चमक ही कह सकते है। रतलाम शहर और रतलाम ग्रामीण के वोटरों की बदौलत ही गुमान सिंह डामोर ने जीत का परचम लहराया लेकिन इन पांच सालो से में इन्ही मतदाताओं के हरदिल अजीज नही बन सके और अब इन्ही मतदाताओं की नाराजगी उनकी उम्मीदवारी में स्प्रिटब्रेकर बन सकती हैं जो भाजपा के इंटरनल सर्वे में भी सामने आने की बात भी कही जा रही है। पीएम मोदी के झाबुआ दौरे में भी भाजपा की गुटबाजी भी सांसद गुमान सिंह डामोर की नीति अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता, पर नाराज़ रही ।