रतलाम। नगर निगम के सामने स्तिथ गांधी उद्यान में देर रात को पेड़ काटने का मामला शहर की महिला सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस नेताओं ने पकड़ा। करीब 50 साल पुराने गांधी उद्यान में रात के अंधेरे में पेड़ काट रहे लोगो ने करीब 50 हरे भरे पेडों को ठूठ बना दिया। पेड़ काटने से रोकने पर पेड़ काटने वाले व्यक्तियों ने महिला सामाजिक कार्यकर्ता के साथ बदतमीजी की। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुची ।पुलिस को देख पेड़ काटने वाले मोके से निकल गए। पेड़ ठुठु के रूप में मोके पर ही पड़े हुए थे।
बुधवार की रात करीब 11 बजे पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था प्रबल वेलफेयर सोसायटी को अध्यक्ष श्रीमती अदिति दवेसर को सूचना मिली कि नगरनिगम के सामने 50 वर्ष पुराने महात्मा गांधी उद्यान में हरे भरे पेड़ो को काटा जा रहा है। इस सूचना पर वह अकेली ही गाँधी उद्यान पहुँची। उन्होंने वहां देखा कि कुछ व्यक्ति हरे भरे पेड़ काट रहे है। कुछ पेड़ो को इन व्यक्तियों ने पहले ही काट दिया था। श्रीमती दवेसर ने इनको रोकना चाहा तो इन व्यक्तियों ने इनसे बदतमीजी कर दी। तभी कांग्रेस नेता पारस सकलेचा , राजीव रावत ओर पार्षद सलीम बागवान भी मौके पर आ गए। यहां से इन सभी ने अपने अपने स्तर पर कलेक्टर नगरनिगम आयुक्त ओर एसपी को मोबाइल लगाकर सूचना दी। लेकिन मोके पर न तो कोई राजस्व अधिकारी पहुचा ओर ना ही नगर निगम का अधिकारी पहुचा। लगभग आधे घण्टे बाद। पुलिस मौके पर पहुची । पुलिस को देख पेड़ काटने वाले व्यक्ति वहां से निकल गए। श्रीमती दवेसर ओर कांग्रेस नेता पारस सकलेचा ने पूरे उद्यान को देखा तो करीब 50 पेड़ कटे हुए पाए गए। मोके पर पहुचे पुलिस दल ने न तो लकड़ियां जब्त की ओर ना ही पेड़ काटने वालो को पकड़ा। मोके पर मिले पेड़ काटने के उपकरणों पर नगर निगम रतलाम लिखा हुआ था। इन उपकरणों को भी जब्त नही किया गया। प्रबल वेलफेयर सोसायटी की अध्यक्ष श्रीमती दवेसर सहित कांग्रेस नेता स्टेशन रोड थाने पहुचे। इन लोगो ने गांधी उद्यान में अवैध रूप से बिना अनुमति के पेड़ काटने की लिखित शिकायत दर्ज कराई।
इनका कहना है ———–
श्रीमती अदिति दवेसर ( अध्यक्ष प्रबल वेलफेयर सोसायटी )
मुझे कहीं से फोन आया था पब्लिक मुझे कहीं से फोन आया था कि नगर निगम के सामने महात्मा गांधी उद्यान है जो 50 वर्ष पुराना है और नगर निगम का ही सरकारी उद्यान है जितने अवैध तरीके से रात के समय पेड़ काटे जा रहे हैं तो मैं वहां से पहुंची वैसे मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं था लेकिन बात पर पेड़ों की थी और हरे भरे पेड़ कट रहे थे तुम्हें देखने पहुंचे उस समय मैं और मेरा बेटा ही वहां पहुंचे थे वहां पर 12 से 15 लोग अंदर थे और वह बाकायदा हरे हरे पेड़ को काटकर गिरा रहे थे हमने उनसे पूछा भी यह आप किसकी अनुमति से काट रहे हो तो वह बोले कि हमें नहीं पता की पैड कोन कटवा रहा है फिर उसमें से एक व्यक्ति ने जवाब दिया कि जिस ग्रुप ने ये बिल्डिंग बनाने की परमिशन ली है उनके द्वारा यह पेड़ कटवाए जा रहे हैं हम इसके लिए यहां पर आए हैं तो मैंने कहा कि अनुमति के पेपर दिखाइए तो वह एक दूसरे पर टालने लग गए हमने पूछा आप किसके कर्मचारी हैं तो पहले उन्होंने बताया कि हम उन्हीं के कर्मचारी हैं ऐसा वह निरंतर बोलते रहे फिर अन्य लोग भी आए पारस दादा, राजीव रावत श्रेय सोनी सहित अन्य लोग आए। उनसे जब पूछा गया उसके बाद हमने पुलिस अधीक्षक महोदय को फोन लगाया तो उन्होंने कुछ संज्ञान लिया। नगर निगम आयुक्त ने तो फोन पर किसी से एक बार चर्चा की उसके बाद हम लोगों के फोन नहीं उठाया। हमने कलेक्टर से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि कल सुबह दिखाते हैं हमने कहा आप जब तक सुबह दिखाएंगे तब तक तो सारे पेड़ कट जाएंगे। उसके बाद उन्होंने भी फोन नहीं उठाया उसके बाद हालांकि सीएसपी आए कुछ पुलिस जवानों को लेकर तब जाकर वहां पेड़ कटना बंद हुए क्योंकि वह लोग बदतमीजी भी कर रहे थे कि हम तो काटेंगे जिसको जो वीडियो बनाना है बनाएं वह वीडियो भी बनाए हमें कोई फर्क नहीं पड़ता पहले तो उनके तेवर कुछ इस तरह के थे। पुलिस के आने के बाद सब के आने के बाद उन्होंने एक ने बताया की हम नगर निगम के कर्मचारी हैं।
यह बात समझ में नहीं आई कि पहली बात तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि किसी भी कीमत पर बगीचे का स्वरूप नहीं बदल सकते और नगर निगम ने इसकी परमिशन कैसे दे दी।क्योंकि वृक्ष अधिकारी नगर नगर निगम आयुक्त है नियम 2001 के तहत अगर किसी पेड़ को काटने की अनुमति दी जाती है तो उनको चिन्हित किया जाता है उस एक पेड़ के बदले कम से कम आपको 10 पेड़ लगाने होते हैं। कहां पर लगाएंगे। उनका 5 साल तक संरक्षण कैसे होगा। यह सारी चीजें सुनिश्चित होने के बाद ही परमिशन दी जाती है लेकिन हमारे यहां नगर निगम बहुत जल्दी में रहती है। पेड़ कटवाने के लिए अभी तो इस जमीन पर विवाद चल रहा है। नगर निगम की है या प्रशासन की है या निजी व्यक्ति की जमीन है । क्योंकि उन्होंने विधानसभा में भी गलत जवाब दिया है। विधानसभा में भी इनके द्वारा कहा गया कि 1956 57 में यह जमीन सरकारी थी जबकि 1956 – 57 में यह जमीन किसी निजी व्यक्ति के नाम से चढ़ी हुई थी यह जानकारी है ।अभी इसका निराकरण नहीं हुआ है कि यह जमीन सरकारी है कि नहीं। उस पर स्टे हो जाए आगे कोई कार्रवाई ना हो जैसे इनकी अन्य संपत्तिया पड़ी हुई है दूसरी बात यह भी सुनने में आया है कि डीपीआर में स्वरूप चेंज कर दिया गया है उसके बावजूद यह वेद तरीके से जो बिना अनुमति के पेड़ काटे जा रहे हैं या अभी नहीं बता पाए अनुमति 56 पेड़ों की है लेकिन उसमें बगीचा शामिल नहीं है इसलिए उनके ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए ठेकेदार के ऊपर और जो इस ग्रुप के मालिक है और नगर निगम आयुक्त उद्यान प्रभारी के खिलाफ जिन्होंने मौके पर आने का कष्ट नहीं किया मुझे लगता है कि शहर का एकमात्र उद्यान जिसमें पेड़ों को काट दिया गया है पूरी तरह से उजाड़ दिया गया।
पारस सकलेचा ( कांग्रेस नेता )
देखिए हमने एसपी और कलेक्टर से बात की नगर निगम के अधिकारियों फोन लगाने की कोशिश की तो किसी ने भी फोन नहीं उठाया हमने जो वाक्य देखा है कि 6 व्यक्ति जो नगर निगम के उद्यान विभाग के कर्मचारी है जो माली का काम करते हैं चार इलेक्ट्रिक मशीनें लेकर उपस्थित थे हमने देखा कि 32 से 40 बड़े पेड़ों को काट दिया गया है जो 50 साल पुराने थे जिनका तना भी 12–12 फिट के थे वह काटे जा चुके थे और आधे गिरे हुए थे हमने जब उनसे पूछा कि आप पेड़ किसके कहने पर काट रहे हो तो उन्होंने हमारे साथ बदतमीजी की और धोंस दी की आप यहां से चले जाएं नहीं तो आपकी भी हालत बिगड़ जाएगी। उसके बाद हमने एसपी को फोन किया एसपी ने सीएसपी और पुलिस जवानों को भेजा ।
यहां स्थिति यह है कि एक तो बगीचा है बगीचे को बेचा नहीं जा सकता उसके स्वरूप को बदला नहीं जा सकता दूसरा बगीचे के अंदर के पेड़ नहीं काटे जा सकते हैं अगर नगर निगम के द्वारा अनुमति दी गई होगी तो उसके पीछे जो जो गोल्ड कांप्लेक्स बन रहा है उस जमीन पर 56 पेड़ों को काटने की अनुमति दी होगी अब वो 56 पेड़ चिन्हित करने थे वृक्ष अधिनियम के तहत कितने पेड़ काटे उनकी जगह उनको 10 गुना लगवाने थे तो सारा काम तय होता है हमारा मुख्य आरोपी है कि यह जो षड्यंत्र बगीचे को खत्म करने का और उसमें नगर निगम कमिश्नर और अन्य अधिकारी मिले हुए हैं अगर ठेकेदार के आदमी पेड़ काट दे तो बात अलग होती लेकिन यहां तो नगर निगम के कर्मचारी और नगर निगम की मशीनों से ही पेड़ काट रहे थे मशीनों पर नगर निगम लिखा हुआ है हमने पुलिस वालों को कहा कि मशीनों को जब कीजिए तो उन्होंने मशीनें भी जबकि उन कर्मचारियों के बयान दीजिए किसके कहने पर पेड़ काट रहे थे बयान भी नहीं लिए और उनको भी जाने दिया अभी हमने लिखित में शिकायत दी है सारे वाक्य को बताया है और अनुरोध किया कि वृक्ष अधिनियम और पशु पक्षी संरक्षण अधिनियम के तहत पेड़ काटना एक गंभीर अपराध है दंडनीय अपराध है और बिना अनुमति के पेड़ काटना तो और भी गंभीर अपराध है तो नगर निगम कमिश्नर सिटी इंजीनियर उद्यान अधिकारी और जो व्यक्ति पर काट रहे थे अनुरोध किया कि इन सब के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाए प्रशासन अगर इस पर कार्रवाई नहीं करता है तो हम N8 मैं जाएंगे नेशनल टेबल मैं जाएंगे हमारे पास सारे प्रमाण है हम सुप्रीम कोर्ट में क्या आदेश के साथ हम उनके खिलाफ न्यायालय कार्रवाई करेंगे