रतलाम IV NEWS

बेटे को सुलाने के लिए रात भर जागी मां, बेटे का पेट भरने के लिए संघर्ष कर काम करती रही मां, बेटे की खुशी के लिए हर बुराई को अपने ऊपर ओढ़ ली मां ने, लेकिन जब मां बुजुर्ग और वेसहारा हुई तो मां को व्रृद्धा आश्रम छोड़ आया बेटा । जब इस तरह के हादसे देखे और सुने जाते हैं तो इंसान का दिल भी पसीज जाता है।

वृद्धा आश्रम में रहने वाली ऐसी बुजुर्ग मां जब आश्रम की समस्याओं को लेकर कलेक्टर के पास पहुंची तो कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी का दिल भी पसीज गया। बुजुर्ग मां की दास्तान सुनकर कलेक्टर भी अपने आंसू को रोक नहीं सके। मानवीयता , इंसानियत, और सहजता की मिसाल पेश करने वाले कलेक्टर ने इन वृद्ध माताओं की ममता और दिल में छिपे गहरे घाव को समझते हुए एक श्रवण कुमार बेटे की तरह सारी बातें सुनी , बृद्धा आश्रम के स्टाफ को फटकार लगाने में भी देर नहीं की , और हर समस्या का निराकरण करने का भरोसा दिलाया। इतना ही नहीं कलेक्टर ने वृद्धा का हाथ पकड़ कर बाहर गाड़ी तक छोड़ने गए , और सरकारी गाड़ी से आश्रम सम्मान छोड़ने के निर्देश अपने स्टाफ को दिए । वृद्ध माताओं ने भी कलेक्टर को बेटे की तरह जमकर आशीर्वाद देने में देर नहीं की । शासन सुशासन की बात कर रहा है लेकिन रतलाम कलेक्टर ने मानवीय संवेदनाओं के साथ सुशासन की तस्वीर पेश कर अनेकों मामलो में लोकप्रियता हासिल की है जिसकी हर मुंह तारीफ ही सुनी जा रही है।
क्यों खरे उतरते हैं कलेक्टर
अक्सर आईएएस अफसर , कलेक्टर का एटीटूट चर्चाओं में रहता है जो मानवीय संवेदनाओं को ताक में रखते नजर आते हैं, लेकिन रतलाम कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी इससे कोसो दूर है। इस तरह के अनेकों मामलो में उनकी मानवीयता सामने आ चुकी है, मां के मकान में बेटे का ताला खुलवाने का मामला हो , वृद्ध पेंशन के मामले हो, वृद्ध की सम्पत्ति हड़पने के मामले हो या स्कूल फीस , बीमारी के मामले हो कलेक्टर सूर्यवंशी ने अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर न्याय दिलवाने में अग्रणीय भूमिका ही निभाई है। जनसुनवाई में भी जन समस्याओं को मानवीयता के साथ समाधान करने के लिए वे अपने अमले को इंगित करते रहते है।

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