
जल बिना जीवन नहीं, गुरु बिना नहीं है ज्ञान ।
जल धोए तन का मैल, गुरु मिटाएं अज्ञान ।
कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आज मैं स्वयं एक शिष्य और कुछ मेरे अनुयायियों द्वारा गुरु पद पर आसीन किया । मैंने अनुभव किया की शिष्य दो तरह के होते हैं, एक बल्ब की तरह होते हैं और दूसरे पंखे की तरह, पहले बल्ब की श्रेणी के शिष्य पूर्णतः गुरु के आज्ञाकारी -गुरु ने कहा तो चल दिए गुरु ने कहा तो रुक गए सफलतम भक्त शिष्य
दूसरे पंखे की तरह, गुरु के आदेश के पश्चात् गति भी धीरे पकड़ते हैं और रोकने पर तुरंत रुकते भी नहीं हैं ये ज्ञानी शिष्य होते हैं । मेरा मत यह हैं भगवन और गुरु दोनों के द्वार भक्त बनकर ही जाना चाहिए आज मेरी अपार सफलता का पूर्णतः योगदान मेरे गुरुदेव भगवान का ही हैं जिन्होंने मुझे भक्त रूप में स्वीकार किया
मैं इस शुभ अवसर पर कोई निंदा नहीं कर रहा हूँ लेकिन जो प्रशंसा के पात्र हैं। मेरा सौभाग्य हैं यह मुझे गुरुदेव भी भगवान स्वरुप प्राप्त हुए उनकी कृपा और आशीर्वाद हमेशा बना रहे। जय गुरुदेव

क्या है गुरु
अद्वितीय है निर्माणों में, गुरुओं का निर्माण।
जिनने फूँके चलती−फिरती प्रतिमाओं में प्राण॥● ॥ विश्वामित्र और संदीपन, राम कृष्ण निर्माता।
अंगुलिमाल, अंबपाली का जुड़ा बुद्ध से नाता॥
थे चाणक्य कि चन्द्रगुप्त के अनुपम भाग्य विधाता। और शिवा भी थे समर्थ के सपनों के उद्गाता॥ गुरु के अनुदानों की महिमा अनुपम और महान।अद्वितीय है निर्माणों से गुरुओं का निर्माण॥
● ॥ दयानन्द बन सके मूलशंकर, गुरु की गरिमा से। बने विवेकानन्द नरेन्द्र भी, गुरु की ही महिमा से एकलव्य वो धन्य हुआ, केवल गुरु की गरिमा से। ‘जगतगुरु’ बन गया देश, इस तरह कि गुरु गरिमा से॥ पावनतम गुरु-परंपरा के अनगिन हैं अनुदान। जिनने फूँके चलती−फिरती प्रतिमाओं में प्राण॥
● ॥ किन्तु पात्रता, प्रमाणिकता और समर्पण−भाव। कर पाता है गुरु-गरिमा का ग्रहण अचूक प्रभाव॥ मृदु माटी कर सहज समर्पण वाला सरल स्वभाव। कुंभकार से रहने देता नहीं दुराव-छुपाव॥तभी शिल्प को मिल पाते हैं शिल्पी को वरदान। अद्वितीय है निर्माणों में, गुरुओं का निर्माण॥
● ॥ हमें मिला है इस युग से भी ऐसा ही सहयोग। नहीं हाथ से जानें दें यह अवसर और सुयोग॥ कर अपना शिष्यत्व प्रमाणित करें अचूक प्रयोग। ताकि कट सकें गुरु अनुकम्पा से सारे भव-रोग॥ करें समर्पण द्वारा आओ! नवयुग का उत्थान। अद्वितीय है निर्माणों में गुरुओं का निर्माण॥
● ॥ गुरु आपके उपकारों का,चुकाऊँ मैं कैसे मोल, लाख कीमती धन भला है, गुरु मेरा अनमोल।।