
रतलाम
राज्य के आदिवासी अंचल में गर्मी शुरू होते ही आदिवासी काम की तलाश में अपने गावो से पलायन कर जाते है लेकिन रतलाम झाबुआ के सांसद गुमानसिंह डामोर इसको पलायन नही मानते है। सांसद का कहना है कि रोजगार की तलाश में हम अगर थोड़े समय के लिए कहीं जाते हैं और वापस आ जाते हैं वह पलायन नहीं हैं ।तमिलनाडु में एक हजार रुपये प्रतिदिन की मजदूरी है। क्यो की वहाँ मेन पावर की कमी है।
दिशा समिति की बैठक में शामिल होने आए सांसद गुमानसिंह डामोर यहां पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पलायन का यह मतलब होता है प्राकृतिक और ऐसे कारण जो व्यक्ति वहां रहा है वह नहीं रह पाता है मजबूर हो बाहर जाने के लिए वह पलायन होता है।हमारे जो ट्राईबल एरिया है झाबुआ का हो रतलाम का हो अलीराजपुर का हो यह सभी क्षेत्रों में हमारे जो आदिवासी भाई बहन हैं।अच्छे रोजगार की तलाश में जाते हैं मानसून के पहले वापस आ जाते हैं।तमिलनाडु में 1 दिन की मजदूरी एक हजार रूपये मिलती है। हमारे यहां 100 दिन रोजगार उपलब्ध ज्यादा मिलता है।तमिलनाडु जैसी बराबर हम इसलिए नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि वहां मैनपावर की कमी है हमारे यहां मैन पावर ज्यादा है।हमारे रतलाम जिले के लिए सबसे बड़ा प्रोजेक्ट ट्रेन एक्सप्रेस रतलाम झाबुआ में कार्य लगभग पूरा हो गया है और मंदसौर जिले में थोड़ा सा कार्य बचा है अप्रैल माह में वह भी पूरा हो जाएगा मध्यप्रदेश का जो हिस्सा है उसके लोकार्पण के लिए मैंने नितिन गडकरी जी से अनुरोध किया है कि मई महीने के किसी भी तारीख और मध्य देश का जो हिस्सा है उसका लोकार्पण कर दें यह हमारा सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है
बंजली हवाई पट्टी के विकास संबधी सवाल पर कहा कि सरकार प्रयास कर रही है लेकिन कोई बिल्ड ( निविदा) ही नही आ रही है।लेकिन हम यहां मिनी एयरपोर्ट बनाकर ही रहेंगे।
दिशा समिति की बैठक के बारे में कहा कि रतलाम जिले के विकास के लिए सभी मुद्दों पर चर्चा हुई है चाहे वह पानी का हो बिजली का हो सड़क का हो जो भी विकास की बातें हैं वह सभी बातें हुई है और जो प्रकृति है वह भी बहुत अच्छी है। पिछली बैठक के लगभग सभी मुद्दों पर क्रियान्वयन हो रहा है कुछ मुद्दों को छोड़ दें तो जिन की स्वीकृति अपेक्षित है भोपाल से, ऐसे एक दो मुद्दे को छोड़कर बाकी सभी क्रियान्वित हुए हैं।