रतलाम ( ivnews ) धरती से जुड़ा कवि सदैव जनमानस की स्मृति में रहता है । शशि भोगलेकर जी भी धरती से जुड़े कवि थे । उनकी कविता में हमारे गांव, श्रम करता मनुष्य , हल चलाता किसान, ढलती सांझ और उम्मीद भरी सुबह दिखाई देती है । यही कारण है कि उनकी कविताएं आज भी हमें प्रेरित करती हैं और बार-बार पढ़ने के लिए विवश करती हैं ।
उक्त विचार जनवादी लेखक संघ रतलाम द्वारा आयोजित ‘एक रचनाकार का रचना संसार’ श्रृंखला के अंतर्गत शहर के रचनाकार रहे शशि भोगलेकर पर केंद्रित आयोजन में वरिष्ठ रचनाकार प्रो. रतन चौहान ने व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि कोई भी रचनाकार रचनाकर्म से जुड़ने के पहले यह अवश्य तय करता है कि वह क्यों लिख रहा है , किसके लिए लिख रहा है और क्या लिख रहा है । कोई भी लेखन स्वांत: सुखाय नहीं होता क्योंकि रचनाकार समाज का एक अंश होता है और वह समाज की अभिव्यक्ति करता है । इसलिए उसका लेखन समाज के प्रति समर्पित होना चाहिए। विशेष अतिथि डॉ. एन. के. शाह ने कहा कि रचना प्रक्रिया बहुत कठिन है । जो रचनाकार अपना सर्वस्व इस रचनाकर्म के प्रति समर्पित कर गए आज उन्हें हम याद कर रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर भोगलेकर जी के परिवार के सदस्य राजेंद्र भोगलेकर , संतोष राव भोगलेकर और भतीजी मीनाक्षी मलिक ने भी विचार व्यक्त किए।

इन्होंने रचनाएं पढ़ी

आयोजन में शशि भोगलेकर की रचनाओं का पाठ जनवादी लेखक संघ अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर, विनोद झालानी , संजय परसाई ‘सरल’, नरेंद्र सिंह पंवार , सुभाष यादव , नीता गुप्ता , डॉ. पूर्णिमा शर्मा , मीनाक्षी मलिक , राजेंद्र भोगलेकर , प्रकाश हेमावत , दुर्गेश सुरोलिया, कीर्ति शर्मा गौरीशंकर खींची, आई.एल.पुरोहित, संतोष भोगलेकर , कला डामोर, आशा श्रीवास्तव, हीरालाल खराड़ी, कैलाश वशिष्ठ, अनीस ख़ान, सीमा भूरिया, शिवराज जोशी सहित सुधिजनों ने रचनाएं पढ़ी।

अगला आयोजन भंवरलाल भाटी पर

‘ एक रचनाकार का रचना संसार ‘ श्रंखला की चौथी कड़ी शहर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार और शिक्षाविद् रहे भंवरलाल भाटी पर केन्द्रित रहेगी। यह आयोजन जुलाई माह के दूसरे रविवार को प्रातः 11 बजे भगतसिंह पुस्तकालय शहर सराय रतलाम पर होगा। इसमें शहर के सभी सुधिजन स्व.भाटी की रचनाओं का पाठ करेंगे।

By V meena

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