
रतलाम ( ivnews) सुप्रीम कोर्ट में मंदसौर गोली कांड की सुनवाई पर राज्य शासन, गृह विभाग, सामान्य प्रशासन विभाग तथा विधानसभा सचिवालय की ओर से कोई भी एडवोकेट उपस्थित नहीं हुआ । रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा की पिटीशन पर सुनवाई करते हुए माननीय रजिस्ट्रार ने प्रकरण को न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए । पारस सकलेचा की ओर से एडवोकेट सर्वम रीतम खरे ने बहस की ।
मंदसौर में 6 जून 2017 को आंदोलनरत किसानो पर पुलिस द्वारा गोलीचालन से पांच किसानो की मृत्यु हुई थी । गोलीकांड की जांच के लिए राज्य शासन ने 12 जून 2017 को जैन आयोग का गठन किया । जैन आयोग ने अपनी रिपोर्ट 13 जून 2018 को राज्य शासन को पेश कर दी थी । राज्य शासन द्वारा उस रिपोर्ट को विधानसभा में नहीं रखा गया , जबकि जांच आयोग अधिनियम की धारा 3(4) के तहत 6 माह में आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई कर उसे विधानसभा में रखा जाना चाहिए था ।
पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने मंदसौर गोली कांड में जैन आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा में रखने के लिए सरकार को आदेश देने के लिए माननीय उच्च न्यायालय इंदौर में पिटीशन दाखिल की । जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने इस आधार पर खारिज किया की घटना को लंबा समय हो गया हैं , अतः रिपोर्ट विधानसभा में रखने का कोई औचित्य नहीं है । माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पारस सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दाखिल की । जिस पर राज्य शासन को तथा अन्य सभी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा । लेकिन सुप्रीम कोर्ट में आज दिनांक तक किसी के भी ओर से कोई जवाब पेश नहीं किया गया , तथा 15 मई को तारीख पर कोई भी ऐडवोकेट उपस्थित नहीं हुआ । इस पर माननीय रजिस्ट्रार ने प्रकरण को सुनवाई के लिए न्यायालय में पेश करने के आदेश दिए ।