रतलाम। साहित्य , संस्कृति और लोककलाओं के प्रति रतलाम शहर का रुझान प्रारंभ से ही रहा है । अलग-अलग विधाओं में प्रयास कर रहे सभी लोगों को रचनात्मकता से जोड़ना और अपने शहर की रचनात्मक सक्रियता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है । इसमें शहर के सुधिजनों का सहयोग मिल रहा है , यही ‘सुनें सुनाएं’ की ताक़त है और सफलता भी। उक्त विचार ‘सुनें सुनाएं’ के 25 वें सोपान में उभर कर सामने आए।
दो वर्षों तक निरंतर प्रतिमाह के प्रथम रविवार को आयोजित होने वाले इस रचनात्मक आयोजन ने शहर के सुधिजनों के स्नेह के कारण अपने 24 सोपान पूर्ण कर लिए हैं। जी.डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल पर आयोजित तीसरे वर्ष के पहले आयोजन में दस रचनाप्रेमियों ने अपनी प्रिय रचना का पाठ किया । 85 वर्षीय मणिलाल पोरवाल ने वीरेन्द्र मिश्र की रचना ‘ लगा आवाज़ लगा ‘ का पाठ कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद डॉ. विजया कुशवाह द्वारा डॉ .नीरज जैन की रचना ‘ फिर वही सर्द हवा आई है’ , दुष्यन्त कुमार व्यास द्वारा रामकुमार चतुर्वेदी “चंचल” की रचना ‘मुझे सपने दिखाओ का पाठ किया गया। 93 वर्षीय श्रीराम दिवे द्वारा सत्यमित्रानंद जी की रचना ‘साथी घर जा कर मत कहना ‘ का पाठ किया गया वहीं बृजेश कुमार गौड़ द्वारा रामधारी सिंह दिनकर की रचना ‘कृष्ण की चेतावनी’ , श्रीमती मीनाक्षी मलिक द्वारा आशीष दशोत्तर की रचना ‘ दुनिया से किनारा कर लिया मैंने ‘ , लगन शर्मा द्वारा अज्ञात रचनाकार की रचना ‘ख़्वाहिश नहीं मुझे मशहूर होने की ‘ का पाठ और पंडित मुकेश आचार्य द्वारा कैलाश वशिष्ठ की रचना ‘बेटी के सवाल पिता से ‘ का पाठ किया गया।
इनकी उपस्थिति रही
आयोजन को अपनी उपस्थिति से प्रो.रतन चौहान, गुस्ताद अंकलेसरिया, डॉ खुशाल सिंह पुरोहित, यूसुफ़ जावेदी, ओमप्रकाश मिश्र, इंदु सिन्हा, कैलाश वशिष्ठ, जगदीश सोनी, महेंद्र पोरवाल , अशोक कुमार शर्मा , नरेंद्र त्रिवेदी , आई.एल. पुरोहित , प्रवीण कुमार कुशवाह , रीता दीक्षित , शरद माजू , अमित श्रीवास्तव , ज़मीर फारुकी , गजेंद्र सिंह चौहान , राकेश पोरवाल , नीरज कुमार शुक्ला , डॉ. पूर्णिमा शर्मा , नरेंद्र सिंह डोडिया , विनोद झालानी , कीर्ति कुमार शर्मा , गोविंद काकानी , जीएस खींची , संजय परसाई ‘सरल’ , सुनील व्यास , जसवीर शर्मा , कमलेश पाटीदार , विकास शैवाल , रजनी व्यास , नईम सुल्तान ख़ान , श्यामसुंदर भाटी , विष्णु बैरागी , आशीष दशोत्तर सहित सुधिजन मौजूद थे।