रतलाम आशीष दशोत्तर की कहानी ‘गिंडोले’ समय के सच को ताक़त के साथ उद्घाटित करती है । यह कहानी बहुत अधिक लाऊड न होकर समाज के उस सच को सामने लाती है जिसे कहने का साहस आज के समय के बहुत कम कहानीकारों में है । ऐसी कहानियां ही आशा जगाती है कि आने वाले समय में कहानी के प्रति नई पीढ़ी और अधिक सचेत एवं समर्पित हो सकेगी ।
उक्त विचार वरिष्ठ कथाकार एवं समीक्षक श्री हरियश राय ने ‘कथा रंग सम्मान 2023’ में व्यक्त किए ।

गाज़ियाबाद में आयोजित समारोह में वरिष्ठ कथाकार श्री अब्दुल बिस्मिल्लाह ने कहा कि कहानी में पहले कहानी तत्व होना ज़रूरी है। नए रचनाकारों को इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि कहानी सिर्फ़ वर्णन होकर न रह जाए। ‘हंस’ पत्रिका के संपादक संजय सहाय ने कहा कि नई पीढ़ी का कहानी के प्रति रुझान आशान्वित करता है और यह विश्वास भी दिलाता है कि नई पीढ़ी नए तरीके से अपनी कहानी कह रही है । ‘पाखी’ पत्रिका के संपादक पंकज शर्मा ने युवा कहानी के स्वर में नई सोच और नई शैली की प्रशंसा की। वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया , आबिद सुरती , हिंदी अकादमी के सचिव ऋषि कुमार शर्मा , कथाकार एवं पत्रकार प्रियदर्शन , विभूति नारायण राय ने समकालीन कथा विमर्श पर महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए।
इस बार का समारोह कालजयी कथाकार से.रा.यात्री को समर्पित था। इस अवसर पर उन पर केंद्रित सत्र में वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व की चर्चा की।

समारोह में ‘कथा रंग सम्मान 2023’ से कथा करो को सम्मानित किया गया । युवा कथाकार आशीष दशोत्तर को उनकी कहानी ‘गिंडोले’ के लिए ‘डॉ. कुंवर बेचैन स्मृति कथा रंग सम्मान’, प्रशस्ति पत्र , स्मृति चिन्ह एवं सम्मान राशि प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ कथाकार आलोक यात्री, व्यंग्यकार सुभाष चंदर , माला कपूर सहित देशभर के महत्वपूर्ण साहित्यकार मौजूद थे।

By V meena

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