रतलाम ivnews

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता राज्यसभा सांसद दिग्विजयसिंह ने आज कहा की कांग्रेस प्रदेश में लोकसभा चुनाव में मशीन नही रही तो दस से पंद्रह सीट जीत सकती है और मशीन रही तो आप समझ सकते है। यह खेला केवल बिहार में ही नही पूरे देश में खेला हो रहा है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार के नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं वह सरकार बनाने और गिराने दोनों काम कर रहे हैं और आपने देखा अजित पवार जी के खिलाफ 3 दिन पहले 7 हजार करोड़ घोटाले वाले को जेल भेजेंगे और महाराष्ट्र में तीन दिन बाद मुख्यमंत्री बना दिया गया।
दिग्विजयसिंह रतलाम के डेलनपुर में एक विवाह समारोह में आए थे। उसी दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा की इसी प्रकार आसाम के मुख्यमंत्री जिनके बारे में पूरी भारतीय जनता पार्टी मैं सब से भ्रस्ट मुख्यमंत्री उपाधि दी थी वही आज भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री बने हुए हैं।अभी अपने वीडियो देखे होंगे।आज से 2 साल पहले नितीश जी कह रहे हैं कि मैं अपने जीवन के आखिरी सांस तक कभी बीजेपी से समझौता नहीं करूंगा।और अमित शाह जी कह रहे हैं कि बता दीजिए नितेश कुमार जी को और लल्लन जी को आपके लिए भाजपा के दरवाजे सदैव बंद कर दिए गए हैं। अवसरवादिता जो हे उसमें भारतीय जनता पार्टी माहिर हे।जहां तक नीतीश जी का सवाल है वह भारतीय जनता पार्टी के साथ चले गए ठीक है लेकिन वे कब तक रहेंगे यह ना तो नितीश कुमार जी को मालूम है न मोदी जी को मालूम है ओर ना ही अमित शाह जी को मालूम है

कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को राजनीति से क्यों जोड़ते हो। क्या भगवान राम को राजनीति का मुद्दा बनाएंगे।हम लोग यह उनके प्रति अपमान है।भाजपा भगवान राम को अपमानित कर रही है।धर्म का उपयोग राजनीति में करना भी अपराध हे।सभी धर्म एक ही रास्ता बताते हैं वो रास्ता है इंसानियत का। भलमनसात का। हमारे धर्म के नारे ही वही है प्राणियों में सद्भावना हो। सद्भावना हर प्राणी में होना चाहिए। क्या भाजपा आर एस एस ओर विहिप जिस रास्ते पर जा रही है क्या यह सद्भावना का रास्ता है।
दूसरा राम मंदिर कभी इन का विषय नहीं रहा। राम मंदिर का विवाद तो 1850 से चल रहा है हनुमानगढ़ी के निर्मोही अखाड़ा उन्होंने जब मस्जिद पर विवाद किया।
यह गुरु गोरखनाथ मठ जो कि आज आदित्यनाथ जी मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के है।उन के पूर्व के गुरु है उन्होंने निर्मोही अखाड़ा धाम मंदिर विवाद लड़ा था ओर आखिर तक नहीं लड़ते रहे । आर एस एस का गठन हुआ 1925 में, विश्व हिंदू परिषद का गठन हुआ 1964 में तब उन्होंने राम मंदिर का मसला नहीं उठाया।पहले हुआ जनसंघ फिर भाजपा का गठन 1980 में हुआ। उन्होंने उस समय भी मंदिर का मुद्दा नहीं उठाया। यह मुद्दा कब उठा जब भारतीय जनता पार्टी के 530 में से 2 सदस्य निर्वाचित हुए तब हिंदू मुस्लिम करने का प्रयास किया। खास बात यह है कि मंदिर निर्माण का उद्देश नहीं था मस्जिद गिराना उनका उद्देश्य था। क्योंकि जब मंदिर मस्जिद का मुद्दा नहीं होगा तब तक वो राजनीति नहीं कर पाएंगे। आज उन्होंने यहां खत्म कर दिया। वाराणसी में शुरू कर दिया फिर मथुरा भी शुरू करेंगे।क्या मंदिर मस्जिद के झगड़े से लोगों की बेरोजगारी मिट जाएगी।क्या महंगाई कम हो जाएगी।क्या देश की उन्नति हो जाएगी। क्या शांति हो सकती है।इस देश में शांति से ही विकास होता है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने कहा कि हर व्यक्ति की आवाज उठाना और कल्याण की बात करना यह सनातन धर्म है।आप से पूछना चाहता हूं जिस मंदिर का निर्माण चल रहा हो उसमें प्राण प्रतिष्ठा की जा सकती है।
मैं आर एस एस के नेताओं से पूछना चाहता हूं।मैं विश्व हिंदू परिषद के नेताओं से पूछना चाहता हूं। मैं चेतन्य काश्यप से पूछना चाहता हूं।क्या यह सही है मुझे बता दे। इन्होंने धर्म के विपरीत काम किया है। शंकराचार्य जी ने भी इस बात को कहा है कि शास्त्रों के विपरीत कार्य हुआ है। जो अखाड़े को अलग कर दिया और विश्व हिंदू परिषद के लोगों को बिठा दिया गया।निर्मोही अखाड़ा ने राम मंदिर निर्माण के लिए डेड साल से लड़ाई लडी थी। वह तो आरोप लगा रहे हैं 14 सो करोड़ चंदा उगाया गया था। शीला पूजन हुई थी। हम सब ने चंदा दिया था। उसका क्या हुआ।अब जो चंदा दिया उसका आडिट बताइए जरा उसकी जानकारी दीजिए। यह मंदिर की जमीन खरीदी में घोटाला हुआ है एक जमीन सुबह खरीदी जाती है दिन में और शाम को वही जमीन साढे18 सो करोड़ में खरीदी जाती है। उस ट्रस्ट द्वारा जिसका गठन नरेंद्र मोदी जी ने किया है। इसका मतलब 18 करोड़ का फायदा कुछ घंटो में। जब मस्जिद गिरी थी तब सरकार मुलायमसिंह जी की थी। उन्होंने फायरिंग की थी।कोठारी बंधुओं की डेथ हुई। कारसेवक मारे गए। हिंदू महासभा के पांडे जी के पैर में गोली लगी थी। इनको किसी ने नहीं पूछा।इस बार उस समय मुलायम सिंह जी के प्रमुख सचिव कौन थे एन पी मिश्रा जो आज मंदिर के निर्माण के मुख्य अधिकारी है इनकी नियुक्ति नरेंद्र मोदी जी ने की है।नरेंद्र मोदी जी ने उनको प्रमुख सचिव का दर्जा दिया है।यह नरेंद्र मोदी जी और भाजपा इनका राम मंदिर का निर्माण नहीं था।रामजी का जन्म रामनवमी को हुआ है। दो तीन महीने रुक जाते तो क्या बिगड़ता उसी दिन कर देते लेकिन उन्होंने नहीं किया।कारण लोकसभा चुनाव हो जाते। उनका उद्देश्य सनातन धर्म ये प्रति भावना नहीं है। उनकी भावना शुद्ध रूप से राजनीति लाभ लेना है। यह मेरा आरोप थे। आप देखिए मंदिर के आसपास की जमीन किस-किस ने खरीदी है। जो बड़े-बड़े उद्योगपति है। उन्होंने आसपास जमीनें खरीद ली। बात यही है कि जमीन पर कब्जा करना चंदे में वसूली करना और चंदे के नाम पर खूब पैसा खाना यह भाजपा विश्व परिषद और संघ के काम करने का तरीका है।
उन्होंने लोकसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस कि स्तिथी पर कहा की अगर बेलेट पेपर से चुनाव होते है तो कांग्रेस 10 से 15 सीट जीत सकती है। अगर ईवीएम से होंगे तो …… उन्होंने इंडिया गठबंधन के नेताओं के बिखरने पर कहा की कोई कही नही जा रहा है। खुद के लोकसभा चुनाव लडने पर कहा की वह अभी राज्यसभा सांसद है उनका दो साल का कार्यकाल बाकी है।

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