सत्ताधारी दल भाजपा ने विधानसभा चुनाव की तैयारीयो की शुरुआत कर दी है । भोपाल में भाजपा हाईटैक प्रदेश कार्यालय का निर्माण कर रही है जिसका भूमिपूजन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया । शाम को कोर कमेटी की बैठक की तो उन्होंने पार्टी नेताओं पर सवाल खड़े करने में भी देर नहीं कि । सलाहकार समिति पर उन्हों कहा यह एग्जीक्यूट कमेटी है । लेकिन टीम वर्क का अभाव है । मतलब भाजपा अध्यक्ष समझ गए मध्यप्रदेश में पार्टी टीम वर्क से नही प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलाई जा रही हैं
उन्होंने पीएम मोदी जी का उदाहरण देते हुए कहा मोदी जी ने कभी पार्टी की बैठक अपने घर में नही की , हमेशा पार्टी की बैठक पार्टी कार्यालय में ही होना चाहिए । नडडा जी ने यह तस्वीर तो भोपाल की देखी , प्रदेश के जिलों का सर्वे करवाये तो असली दर्पण नजर आ जायेगा कि प्रदेश में भाजपा, सत्ता से संगठन तक ” जिसका जोरा उसका मोरा ” की तर्ज पर चलाई जा रही है । पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, से लेकर आम कार्यकर्ताओ तक को हाशिये पर रख दिया है । जब भीड़ की जरूरत पड़ती है तो पुचकार कर बुला लिया जाता हैं । हाईटैक पॉलिटिक्स की आड़ में सिर्फ पूंजी और गुटबाजी ने भाजपा की करनी और कथनी में साफ फर्क बता दिया है ।अब तो पार्टी की बैठक भी अपने घरों में होती है और पार्टी कार्यालय में ताला । बोले तो कौन ..? पद पर बने रहना है तो रबर मोहर की तरह ही रहना होगा । अपने दौरे में अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस बार दो सौ पार का नारा जरूर दिया है लेकिन शायद वे भी फिलहाल इसे चुनोती मान रहे होंगे …. भाई यह भाजपा है , जहां समय के साथ सब कुछ बदल गया है ? वक्त का तकाज़ा सिर्फ भाजपा , नारा तो सुना होगा …?

महिला नेत्री को रोका
हालांकि कांग्रेस के पास अभी सत्ता की चाबी नहीं है । लेकिन कांग्रेस सत्ता में लौटने के पहले ही गुटबाजी उजागर करने में पीछे नही एक तरफ कांग्रेस के स्थानीय वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस के यदाकदा होने वाले आंदोलनों से दूरियां बना रखी है , वही दूसरी तरफ कांग्रेस को कार्यकर्ताओ को जोड़े रखना चुनोती ही साबित हो रहा है । जो कार्यकर्ता आंदोलन में नजर आते हैं वो भी गुटबाजी के नजारे बता जाते है । रविवार को गांधी उद्यान में कांग्रेस ने सत्याग्रह किया , रघुपति राघव राजाराम भजन कर सद्बुद्धि देने की कांमना की , इसी दौरान एक महिला नेत्री ने भाजपा सरकार पर कटाक्ष करते हुए कोई गीत पेश करने की पेशकश की , गीत शुरू हो पाता इससे पहले ही शहर कांग्रेस अध्यक्ष सहित अन्य नेताओं ने उन्हें रोक दिया । महिला कांग्रेस नेत्री सार्वजनिक रूप से अपनी उपेक्षा देख शर्मसार होने लगी , लेकिन चेहरे पर आक्रोश नज़र आया । आन्दोल समाप्त होते ही महिला नेत्री ने बोल ही दिया , एक तरफ महिलाओं के सम्मान की बात करते हो दूसरी तरफ महिलाओं का अपमान हो रहा है । यह ठीक नहीं है , ऐसे आंदोलन में आने से अच्छा है अपने घर पर बैठो । सुना जा रहा है, ये कांग्रेस नेत्री मैडम जी कभी भी दूसरे दल में नजर आ सकती हैं ।


[■< निगम में क्या है मिठ्ठा…?

वैसे तो रतलामी नमकीन से शहर की पहचान है , लेकिन नगर निगम की मलाई का स्वाद जिसे लग गया हो वो यहां की मिठ्ठा का दीवाना हो ही जाता हैं । निगम की कमान सम्हालने वाले ऐसे कुछ अफसर है जो यहां के दीवाने होकर दो दो पारी खेल चुके । निगम के झुनझुने को बजाने वाले एक साहब ने तो सेवा निवृत्ती भी यही से ली , लेकिन अब तक यहां की रबड़ी का स्वाद भूले नहीं है । इसी तर्ज पर करीब पच्चीस साल बाद फिर दूसरे साहब दूसरी पारी खेलने के लिए आ गए हैं । दूसरी बार कमान सम्हालने के लिए ये सहाब ना जाने कब से गुनगुना रहे थे जिन्हें अब सफलता मिली । जेठालाल की तरह दिखने वाले ये साहब यहां की रग रग से वाकिफ़ है । उन्हें मालूम है थोड़ी सी उंगली टेडी करो घी निकल ही आता है । और अब अपनी भी सेवानिवृत्त होने में कोई अधिक समय नही बचा है , बस बचे समय मे मिठ्ठा मिठ्ठा गप्प कर लो …? इन पुराने साहब के पहले वाले साहब भी अल्प समय में क्यो चले गए , यह सवाल भी निगम के गलियारों में पूछा जा रहा है । खबर है कि साहब नगर सरकार के कुछ बिलो को लेकर तनाव में थे । नियमो के विपरीत वो कोई बिल पर अपने आटोग्राफ देना नहीं चहाते थे , साहब कब से अपने तबादले की पेशकश कर रहे थे , उन्होंने वरिष्ठों को साफ कह दिया था कि वे राजनेतिक दवाब में काम कर अपना बुढापा नही बिगाड़ना चहाता । जब तबादले में लेटलतीफी हो रही थी तो साहब तनाव में थे । पहले बीमार हुए , अचानक अस्पताल में भर्ती हुए , इसी बीच कलेक्टर ने उन्हें छुट्टी पर जाने का बताते हुए इसी बहाने अस्थायी तौर पर एक संयुक्त कलेक्टर को प्रभार देने का आनन फानन आदेश जारी कर दिया । अब सत्ता का सुख भोगने वाले परेशान हुए की यदि अल्प समय के लिए भी ये प्रभारी साहब निगम में आ गए , और हमारी जन्मकुंडली देख ली तो सारे राज खुल जाएंगे । फिर राजधानी के सफेदपोश को फोन गया अपना दर्द बताया गया । और नए साहब की ताजपोशी करवाई गई। पोशी करवाई गई । साहब भी आदेश के इंतजार में थे , खबर लगी कि आदेश आ रहा है यह सुनते ही साहब निकल पड़े। बस अब क्या है … दोनो का साथ … दोनो का विकास …..?


: ■ नए कप्तान का अल्टीमेटम

जिले और रेंज की कानून व्यवस्था सम्हालने दो नए कप्तान ने कुर्सी सम्हाली है । बड़े जिले से छोटे जिले में आये कप्तान ने अपनी सख्ती और कामकाज के तरीके महकमे को बता दिए हैं । कप्तान ने औचक थानों का निरीक्षण किया , और थानों के बड़े साहब को शाम 6 से रात 12 बजे तक पैदल गश्त करने के फरमान भी सुना दिए । अब थानों के ख़ाकीवर्दी वाले बड़े सहाब को पैदल गश्त कर अपने अपने क्षेत्रों के ठिकानों पर सुविधा शुल्क वालो को भी सचेत रहने की इतला देनी पड़ेगी , क्योंकि नए कप्तान को अभी समझना होगा , फिर नया वित्तीय वर्ष भी शुरू हो गया है , मुहूर्त के सौदे भी नही हुए होंगे , खतरा तो है , ना जाने नए कप्तान सहाब कब टेबल बदल दे …? क्योंकि रसूखदार , अवैध शराब, नारकोटिक्स सहित अन्य अपराधों पर कप्तान पहले ही दिन इंगित कर चुके है ।

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