
कलेक्टर कार्यालय के वातानुकूलित सभागार में जनप्रतिनिधियों के साथ जो रही बैठक में कलेक्टर यह कह रहे थे कि जिले में मुख्यमंत्री की मंशा अनुसार भ्रष्टाचार पर कड़ा अंकुश है । सभी विजिलेंस की तरह काम कर रहे है । ऑफिसों में दलाल घूमते हुए पाए गए तो अधिकारियों पर कार्यवाही होगी । ठीक इसी समय जिले के आलोट में अवैध वसूली और भ्रष्टाचार के खिलाफ हल्ला बोल हो रहा था । और तो और ये ” हल्ला बोल” कोई विपक्षी तेवर नहीं सत्तावादी दल के जिम्मेदार लोग ही बोल रहे थे , जो पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे थे । भ्रष्टाचार के खिलाफ बोली जा रही सच्ची बात जिला भाजपा के गले नही उतरी और हल्ला बोल के कुछ ही घण्टो के बाद जिलाध्यक्ष ने आलोट भाजपा के पांच जिम्मेदारो को नोटिस थमा कर अपने ही हाथों से अपनी पीठ थपथपा ली । नोटिस में भ्रष्टाचार के खिलाफ कहीं जा रही सच्ची बात को अनुशासनहीनता मानी गई , और तीन दिन में जवाब तलब किया गया । इससे ऐसा लगा कि जिले में खिल रहे भ्रष्टाचार के फूल को जिला भाजपा के जिम्मेदार शिष्टाचार मानते हैं ..? और यह कड़वा सच भी है , ऐसा कौनसा सरकारी महकमा है जहां भ्रष्टाचार को शिष्टाचार की तरह नही किया जाता हो , सरकारी नुमाइंदे तो जगजाहिर है लेकिन सत्ताधारी दल के सफेदपोश भी कुर्सी मिलते ही इस भ्रष्टाचार को शिष्टाचार की तरह अपना कर कमीशनखोरी में लग जाते है , कोई भी मौका , कोई नेता गंवाना नही चहाता , इस स्वर्ण अवसर के लिए तो ही कुर्सी हथियाने की अंधी दौड़ में एड़ी से चोटी तक का जोर लगा देता है । सफेदपोश की जेबो में जब यह काली कमाई वाला सुविधा शुल्क आने लगता है तेवर भी बदल जाते है । ऐसे माहौल में जब सच्चाई बताई जाए तो अनुशासनहीनता मानना सिर्फ बौखलाहट और अपने पद का तेवर बताने की तरफ ही इंगित करता है …..!
मान गए जनाब कलेक्टर साहब
जिले में इन दिनों में कोई सुर्खियों में है तो वह है हमारे कलेक्टर साहब , जिनकी सज्जनता, सहनशीलता और मानवीय संवेदना तारीफ़े काबिल है । सबसे बड़ी बात तो यह है कि कौन सा दांब कब फेंकना है वह कलेक्टर साहब से सीखा जाना चाहिए , कब और किसके लिए तीखे तेवर वाली कलेक्ट्री बताना और किन मुद्दों पर संवेदनशीलता की मिसाल पेश करना ही उनकी सफलता और सुर्खियों में बनाएं रखना खासियत है । एक साल पूरा कर चुके साहब को उनकी कार्यशीली ने ही हर दिल अज़ीज बनाया है । यहां तक उनके चुनावी मैदान में उतरने की चर्चाएं भी चली जिन्हें उन्होंने ख़ारिज कर दिया । साहब की यह खासियत भी अहम है कि कोई भी जन समस्या उन तक पहुंचे तो वे इंटरनेट की गति की तरह कार्यवाही करने में नही चूकते वो स्वयं तो मौके पर पहुंचते हैं वही अपने अधिकारियों को भी शिकायतकर्ता के दरवाजे पर तत्काल भेज देते है । जब जनआक्रोश में उबाल आ रहा हो तो वो मुख्यमंत्री मामा की तर्ज पर जनता के बीच बैठ बहनों को कह देते है चिंता की कोई बात नहीं मै हूँ ना आपका भाई , और बस आक्रोश पर ठंडे पानी के छीटे डल जाते है । अस्पताल , स्कूल सहित कोई भी समस्या हो तो स्वयं का पहुंचना हर आम इंसान के लिए खास बन जाता हैं । जनता के बीच इस तरह नेताओं को जाना चाहिए , लेकिन नेता तो जनता से दूर हो रहा है और कलेक्टर साहब जनहित में चर्चित….. लेकिन बात तो यह भी हो रही हैं कलेक्टर साहब शिवशंकर कॉलोनी के रहवासियों ने जब पट्टे की बात कही तब आपकी संवेदनशीलता जाग्रत क्यो नही हो सकी ..? आपके तीन नम्बर वाले साहब ने तो इन बहनों को धक्के तक मार दिए । लोग कहने लगे हैं कि कलेक्टर साहब की संवेदनशीलता के पीछे भी पॉलिटिक्स रिमोट काम करता है ..?
फिर बजी पांडे की सीटी…..?
जावरा विधायक डॉ. राजेंद्र पांडेय ने एक बार फिर अपने तीखे तेवर दिखाते हुए सिस्टम के साथ अपनी ही पार्टी के नेताओ पर भी निशाना साधा है । विधायक पांडे की बाजी सिटी की गूंज पार्टी की वैसाखी पर अपना कारोबार चलाने वालों और प्रशासनिक जिम्मेदारो के कानों में गूंज रही हैं । विधायक डॉ पांडे के आक्रोश का सोशल मीडिया पर यह वीडियो सामने आया हैं। जो मीडिया की सुर्खियां बना है , इसमें वे अपनी पार्टी से जुड़े नेताओं और पूर्व जनप्रतिनिधियों को बेशर्म कहकर नाराजगी जता रहे हैं। वीडियो नगर पालिका के कार्यक्रम का हैं। इसमें वे करीब 40 मिनट तक सिस्टम और अपने विरोधियों को कोसते रहे। विधायक कह रहे हैं कि कुछ जन नेता, समाजसेवी जो सालों तक पार्षद, उपाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष बनकर नपा की कुर्सियों पर बैठे रहे। जनता को विश्वास में लेकर, ये भरोसा देकर कि मैं सब ठीक कर दूंगा चुनाव जीते और 15-20 साल जनप्रतिनिधि की कुर्सियों पर बैठकर तिजोरियां भरते रहे। बैंक बैलेंस बढ़ाते रहे। ऐसे बेशर्म, धिक्कारने, दुत्कारने योग्य और नाकारा लोगों को आखिर अब तक कॉलोनियां वैध करने और जनता के दुःख हरने से किसने रोका था। आखिर कौन-सी प्रेतात्मा उनके शरीर में घुस गई थी कि वे कॉलोनी वैध नहीं कर पाए। उनके पास कलम की ताकत थी। मैं दुःख व्यक्त करते हुए कहता हूं कि हकीकत में बहुत देर हुई, लेकिन अब सीएम ने कड़ा निर्णय लेकर कॉलोनाइजरों पर पहले एफआईआर फिर कॉलोनियां वैध करने का काम किया। इससे जनता को सुविधाएं मिलने लगेंगी। विधायक ने कॉलोनाइजरों, भूमाफिया के लिए तीखी भाषा का उपयोग करते हुए खुलकर हमले किए। उन्होंने उन नेताओं को लपेटा जो नेता व समाजसेवी होने के साथ ही कॉलोनाइजर हैं। पहले नपा में जनप्रतिनिधि रहे हैं। इनमें ज्यादातर भाजपा के ही नेता शामिल है। विधायक डॉ पांडे ने एक बार फिर अपनी सिटी बजाते हुए व्यवस्था के साथ अपनी ही पार्टी के नेताओ के कारनामो को उजागर किया है , अब सवाल तो यह उठता है कि भाजपा जिलाध्यक्ष क्या इसे भी अनुशासनहीनता मानेंगे या चुप्पी साधे रहेंगे ….?
प्यार किया तो डरना क्या
गुजरे दिन प्रेस प्रसंग के एक विवाद में जमकर हंगामा हुआ । लड़की के परिजनों ने जमाई राजा बन चुके लड़के और उसके परिजनों के साथ मारपीट की । गाड़ी के कांच फोड़े , इतना ही नही जमाई राजा का अपहरण तक कर लिया । और लड़के को शहर से दूर ले जाकर छोड़ दिया । पुलिस लड़के को सुरक्षित थाने भी ले आई । थाने पर जमकर हंगामा हुआ ,लड़की वालों की तरफ से हंगामा , मारपीट करने वालो में सत्तारूढ़ दल के नेताओ की भूमिका होने से पुलिस प्रकरण दर्ज करने में आनाकानी करती रही , लेकिन लडके वाले भी आड़े रहे , धमकी और अत्याचार के बाद भी लड़का लड़की ने अपने बयान नही बदले , असली प्रेमी युगल होने का संदेश दिया, आखिर कार पुलिस को प्रकरण दर्ज करना पड़ा । लेकिन इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका ही सवाल खड़ा करती रही कि पिपलौदा थाने पर जब प्रेमी युगल सुरक्षा मांगने गए तक पुलिस अपने क्षेत्र के भाजपा नेताओं के दवाब रही , यही से पुलिस ने मामला इतना पेचिदा कर दिया था जो बड़े हंगामे, मारपीट , अपरहण के बाद अब समझौते की ओर अग्रसर होता दिख रहा है । प्रेमी युगल के बालिग होने पर पुलिस पहले ही समझौते वाली नसीहत का रोल अदा करती तो शायद हंगामा होने से बच जाता …?