रतलाम। प्रत्येक पीढ़ी के अपने अनुभव, अपने संस्कार और अपने विचार होते हैं। सभी पीढ़ियां एक साथ बैठती हैं तो वह समय समृद्ध होता है, शहर समृद्ध होता है। ऐसा ही सुखद संयोग आज उपस्थित हुआ है जहां हर आयु वर्ग के रचनाप्रेमियों से यह आयोजन समृद्ध हो रहा है।


उक्त विचार शहर में रचनात्मक वातावरण बनाने के उद्देश्य से प्रारंभ किए गए ‘सुनें सुनाएं ‘आयोजन के बीसवें सोपान में उभर कर सामने आए। जी.डी .अंकलेसरिया रोटरी हॉल रतलाम पर आयोजित कार्यक्रम में इस बार उम्रदराज रचना प्रेमी से लेकर आने वाली पीढ़ी के रचनाप्रेमियों ने भी अपनी प्रिय रचनाएं प्रस्तुत की।


निर्धारित समय पर शुरू होकर नियत समय पर संपन्न होने वाले इस अनूठे आयोजन में इस बार नन्हीं दिव्यांशी दीक्षित ने माखनलाल चतुर्वेदी की रचना ‘पुष्प की अभिलाषा ‘ का पाठ किया । 93 वर्षीय श्रीराम दिवे ने अटल बिहारी वाजपेयी की रचना ‘है अमिट सामर्थ्य मुझमें ‘ का पाठ कर आयोजन को जीवंत कर दिया। मयूर व्यास ने धर्मेन्द्र सोलंकी की रचना ‘ बहना मैके आना तुम ‘ का पाठ, मणिलाल पोरवाल ने पंडित प्रदीप की रचना ‘ टूट गई है माला ‘ का पाठ , ललित चौरडिया ने रवीन्द्र नाथ टैगोर की कहानी ‘ तोता’ का पाठ ,नरेन्द्रसिंह डोडिया ने ‘तुम मुझको कब तक रोकोगे ‘ का पाठ,नरेन्द्र त्रिवेदी ने प्रदीप चौबे की रचना ‘शवयात्रा’ का पाठ,श्रीमती सांत्वना शुक्ला ने डॉ. हरिवंशराय ‘बच्चन ‘ की रचना ‘ जीवन की आपाधापी में ‘ का पाठ,अलक्षेन्द्र व्यास ने डॉ. कुंवर बेचैन की रचना ‘ चांदनी चार क़दम धूप चली मीलों तक ‘ का पाठ तथा रीता दीक्षित ने शरद जोशी की व्यंग्य रचना ‘जीप पर सवार इल्लियां ‘ का पाठ किया गया।

इनकी उपस्थिति रही

‘सुनें सुनाएं’ की रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए आयोजन में इन्दु सिन्हा, गजेंद्र सिंह चौहान, दिनेश जोशी, आई.एल. पुरोहित, सुरेंद्र छाजेड़, पद्माकर पागे ,अशोक दीक्षित, जी.एस. खींची, सिद्दीक़ रतलामी, अनीता दासानी, ट्विंकल पंवार, माणिक व्यास, आशा श्रीवास्तव, रजनी व्यास,हरेन्द्र कोठारी, डॉ एन.के.शाह, सरिता दशोत्तर,नीरज कुमार शुक्ला, श्याम सुंदर भाटी, जगदीश सोनी, सत्यनारायण सोढ़ा, विष्णु बैरागी, आशीष दशोत्तर की मौजूदगी रही।

By V meena

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